इस्कॉन मंदिर में गूंजा श्रील प्रभुपाद का दिया महामंत्र
तिरोभाव महोत्सव में किया महाभिषेक, सात समंदर पार से इस्कॉन आए श्रद्धालु
वृंदावन, जासं: कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्थी (रविवार) को श्रील प्रभुपाद के तिरोभाव महोत्सव पर इस्कॉन मंदिर में हुई श्रद्धांजलि सभा में विदेश से आए हजारों श्रद्धालु मौजूद रहे। ठेठ ब्रजवासियों के परिधान पहने विदेशी भक्तों ने सनातन परंपरा का निर्वहन किया। विदेशी युवतियों ने गायों को घास खिलाई और हाथों से सहलाया। यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें गायों से डर नहीं लगता, सिडनी से आई मिरंडा ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण की धरती पर डर कैसा।
हजारों विदेशी भक्तों ने इस्कॉन पदाधिकारियों के साथ संस्थापक श्रील प्रभुपाद के श्रीविग्रह का महाभिषेक किया और आरती उतारी। ढोल, मृदुंग, पखावज, मंजीरा आदि की धुन पर महामंत्र का गायन शुरू हुआ तो मंदिर परिसर गुंजायमान हो उठा।
इस मौके पर त्रिकालाज्ञा दास ने कहा कि श्रील प्रभुपाद ने 1966 में छोटी टोलियों में दुनियाभर में घूमकर हरे कृष्णा महामंत्र की दीक्षा देकर सनातन धर्म का प्रचार-प्रसार किया। वह आज बड़ा आंदोलन बनकर दुनिया में कृष्ण भक्ति की पताका फहरा रहा है। आध्यात्म की छांव में पाश्चात्य संस्कृति से ओतप्रोत लाखों भक्त आज सनातन धर्म का परिवेश धारण कर रहे हैं।