भारतीय संस्कृति पलों को बनाती है उत्सव-महोत्सव: ऋतंभरा
भारतीय लोग व्यस्त समय हो अथवा व्यथित समय खुशियों के कुछ पल निकाल ही लेते हैं और उसे उत्सव के रूप में जीते हैं।
संवाद सहयोगी, वृंदावन: साध्वी ऋतंभरा ने कहा भारतीय संस्कृति पलों को भी उत्सव और महोत्सव बना देती है। भारतीय लोग व्यस्त समय हो अथवा व्यथित समय खुशियों के कुछ पल निकाल ही लेते हैं और उसे उत्सव के रूप में जीते हैं। कोरोना जैसी महामारी काल में भी घंटे घड़ियाल बजाकर, दीपक जलाकर पूरे भारत में एक उत्सव मनाया। समाज के लोग एक साथ एकत्र नहीं हो सके तो उन्होंने अपने-अपने घरों की छत पर आकर उल्लास मनाया।
वात्सल्य ग्राम में शारदीय नवरात्र में श्रीराम पद वंदन कार्यक्रम में प्रवचन करते हुए गुरुवार को साध्वी ऋतंभरा ने कहा भारतीय संस्कृति प्रणाम की संस्कृति है। परिणाम की संस्कृति नहीं है। परिणाम तो अपने आप मिल ही जाता है। अपने बल का भरोसा कभी कभी धोखा दे जाता है, कितु माता-पिता, गुरु और बड़ों का आशीर्वाद निश्चित फलित होता है। मनोज शास्त्री, संजय गुप्ता, स्वामी सत्य शील, साध्वी सत्यप्रिया, साध्वी सत्य ज्योति, साध्वी सत्य कीर्ति, साध्वी समन्विता, साध्वी सत्यव्रता स्वामी सत्यश्रवा, सुमनलता, सीता परमानंद, तरुण शर्मा, अविनाश, भावना मौजूद रहीं।