महंगाई की मार मिट्टी पर, मटके को लगते झटके
कई सालों से राजस्थान की मिट्टी से बने घड़ों की हो रही बिक्री महंगी होती मिट्टी से बाजार हो रहा प्रभावित
मथुरा, जासं। बाजार में इस बार मिट्टी के घड़ों का धंधा मंदा रहा। मुख्य वजह जिले में खनन पर प्रतिबंध के कारण उपलब्ध होने वाली मिट्टी का महंगा होना है। राजस्थान से आने वाली 800 रुपये की बुग्गी के अब एक हजार रुपये तक चुकाने पड़ रहे हैं। इसका असर मटके की लागत पर पड़ रहा है। इससे उत्पादन प्रभावित हो रहा है।
पहले गर्मी आते ही मटकों की बंपर बिक्री शुरू हो जाती थी। समय के साथ यह धंधा धीरे-धीरे सिमटता गया। मिट्टी की बढ़ती कीमत के कारण मुनाफा कम रह गया है। इस कारण कम संख्या में घड़े भी बनाए जा रहे हैं।
जवाहर हाट में विक्रेता तरुन का कहना है कि साहब, दुनिया में चमक और दिखावा पसंद है। घड़े के ठंडे पानी का महत्व जानने के बाद भी लोग घरों में इसको रखना पसंद नहीं करते। इधर मिट्टी का दाम अधिक होने से मुनाफा भी घट गया है। मंडी चौराहे स्थित विक्रेता लखन का कहना है कि गर्मी में हर कोई फ्रिज का अधिक ठंडा पानी पीना पसंद करता है, लेकिन प्यास तो घड़े के पानी से ही बुझती है। इस महत्व को पुराने लोग समझते हैं, नई पीढ़ी नहीं। बात रही घड़े की कीमत की तो टोंटी लगा घड़ा 90 से 100 रुपये और बिना टोंटी के 50 से 40 रुपये प्रति नग है। राजस्थान से आपूर्ति:
खनन पर रोक के कारण कई सालों से राजस्थान के डीग की मिट्टी से बने हुए घड़े मथुरा में बेचे जा रहे हैं। डीग के घड़ों के थोक व्यापारी यहां आकर घड़ों की सप्लाई देते हैं, लेकिन इस बार बिक्री भी कम होने से इस काम से जुड़े लोग परेशान दिखाई दिए।