पेड़ों को मिलेगा इंसानी नाम
पंचायत अपने यहां लगाएंगी, गोद लेकर ग्रामीण देंगे अपने बुजुर्ग का नाम, हर पंचायत में लगेंगे 100-100 पौधे, ट्री गार्ड पर नाम होगा अंकित
जागरण संवाददाता, मथुरा: ये नीम है, वह आम है। प्रजाति के नाम से ही पेड़-पौधों की पहचान है। आने वाले समय में इनको इंसानी नाम से पुकारा जाएगा। पांच सौ सोलह ग्राम पंचायतों में यह अभिनव प्रयोग होने जा रहा है। जिला पंचायतराज विभाग ने ग्राम प्रधानों के कंधों इसकी सफलता का दायित्व सौंपा है। पर्यावरण संरक्षण की दिशा में ये प्रयोग मील का पत्थर साबित होगा।
शुद्ध आबोहवा तभी मिल पाएगी, जब धरती पर आबादी का 33 फीसद क्षेत्रफल हरा-भरा होगा। फसलों को लेकर फिलहाल तीन फीसद क्षेत्रफल में ही हरा भरा है। कमी को पूरा करने के लिए सरकारी विभागों से लेकर धार्मिक, सामाजिक और शैक्षिक संगठन लाखों पौधे सालाना जमीन पर रोप रहे हैं, लेकिन वन विभाग की रिपोर्ट है कि पौधरोपण के पहले साल में ही 15 फीसद पौधे मर जाते हैं। हकीकत यह भी है कि 30-35 फीसद तक पौधे पहले साल में खत्म हो रहे हैं और दूसरे साल में यह आंकड़ा 50 फीसद तक पहुंच रहा है। सूखा, आवारा जानवर और इंसान ही इनके दुश्मन बन रहे हैं। गर्मियों में सड़कों के किनारे के खरपतार को नष्ट करने के लिए लगाई जा रही आग की चपेट में आकर बड़े-बड़े पेड़ भी झुलस कर नष्ट हो रहे है। दीमक पौधों को नहीं पनपे दे रही है। इन सब कारणों को पीछे धकेल कर जिला पंचायतराज विभाग पांच सौ सोलह ग्राम पंचायतों में 100-100 पौधे लगवा रहा है। साथ ही सुरक्षा के लिए ट्री गार्ड लगाने की प्ला¨नग की गई है। एक ट्री गार्ड और एक पौधा ग्रामीण को दिया जाएगा। ट्री गार्ड पर ग्रामीण को नाम भी अंकित कराया जाएगा। ट्री गार्ड में लगे इस पौधे को उसी व्यक्ति के नाम से पुकारा जाएगा, जिसको ट्री गार्ड और पौधा दिया गया। खाद-पानी और उसकी रखवाली करने का काम ग्रामीण और उसके परिवार का होगा।
जिला पंचायत राज अधिकारी प्रीतम ¨सह ने बताया कि ग्राम प्रधानों को इस संबंध में दिशा निर्देश भी दे दिए गए हैं। कहा गया है कि वह घर के बुजुर्ग के नाम से अधिक पौधे लगवाएं, ताकि लोग बुजुर्ग के नाम से उस पौधे को पहचानते रहेंगे। कई प्रजाति के पौधे की आयु एक सैकड़ा वर्ष से अधिक होती है। इस तरह उनके बुजुर्गों का नाम वर्षों तक उस पेड़ के साथ लिया जाता रहेगा और आने वाली पीढ़ी भी इससे प्रेरणा लेकर पौधे रोपने का काम करती रहेगी। हर साल में 51 हजार से अधिक पौधों को सुरक्षा मिलेगी तो एक दिन ब्रज मंडल हरा-भरा हो जाएगा।