निकाह भी नहीं हुआ नंदगांव व बरसाना के बीच
दोनों गांवों में रहने वाले मुस्लिम समाज के लोग भी निभाते हैं राधा-कृष्ण की परंपरा को
बरसाना, किशन चौहान। ब्रजभूमि के दो गांवों में संबंध जीजा-साले जैसा, पर हजारों वर्षों से किसी तरह का वैवाहिक रिश्ता आज तक नहीं जुड़ा। सुनकर अजीब तो लग रहा होगा, पर हकीकत यही है। नंदगांव-बरसाना के निवासी हजारों वर्षो से इस परंपरा को निभाते चले आ रहे हैं। गजब यह है कि राधाकृष्ण के प्रेम से जुड़ी इस अनूठी प्राचीन परंपरा को यहां रहने वाले मुस्लिम समाज के लोग भी निभा रहे हैं।
द्वापर युग में राधा और कृष्ण का अवतरण हुआ था। मान्यता के अनुसार राधा बरसाना में पैदा हुईं, तो कृष्ण गोकुल में। कंस के अत्याचारों के चलते नंदबाबा नंदगांव में आ बसे। इन्हीं दोनों गांवों के मध्य राधा-कृष्ण ने अपनी प्रेम लीलाएं कीं, इसलिए आज भी नंदगांव और बरसाना के लोग राधा-कृष्ण के उसी दिव्य प्रेम को दर्शाते आ रहे हैं। इधर, हजारों वर्ष बीतने के बाद भी नंदगांव-बरसाना के बीच आज तक कोई विवाह संबंध नहीं है। दिलचस्प है कि विवाह संबंध न होने के बावजूद भी दोनों गांव एक-दूसरे से जीजा-साले का रिश्ता रखते हैं। राधा-कृष्ण के इस दिव्य रिश्तों को हिदू समाज ही नहीं बल्कि मुस्लिम परिवार भी निभाते हैं। मेरी बेटी राधा की ससुराल है..नहीं पिया पानी
नंदगांव-बरसाना के विलक्षण रिश्ते को एक दलित समाज से भी जोड़ा गया है। जानकारों के अनुसार डेढ़ सौ साल पहले बरसाना के एक दलित रामदयाल नंदगांव में छप्पर छाने गए थे। उस दौरान भीषण गर्मी पड़ रही थी। जब नंदगांव के लोगों ने रामदयाल को पीने के लिए पानी दिया तो उसने यह कहकर मना कर दिया कि यह तो मेरी बेटी राधा की ससुराल है। रिश्ता होने पर खत्म हो जाएगी होली की दिव्यता
राधाकृष्ण को प्रेम का पूरक समझने वाले नंदगांव-बरसाना में भले ही कोई रिश्ता नहीं हुआ हो, लेकिन दोनों गांवों के मध्य रिश्ता न होने का एक कारण यह भी है कि लठामार रंगीली होली का आयोजन दोनों ही गांव के मध्य होता है। इसमें दोनों गांव की महिलाओं और पुरुषों द्वारा होली खेली जाती है। अगर दोनों गांव के मध्य रिश्ता हो गया तो होली की यह परंपरा खत्म हो जाएगी। इसलिए इस दिव्य होली के आयोजन को बरकरार रखने के लिए आज तक दोनों गांव के मध्य विवाह सबंध नहीं हुआ। नंदगांव-बरसाना का जो इतिहास है वो संसार में कहीं देखने को नही मिलता है। यहां जो प्रेम का रिश्ता है वो राधा-कृष्ण से जुड़ा हुआ है। इसलिए आज भी किसी भी धर्म व जाति के बीच कोई शादी विवाह नही होते। दोनों ही गांव राधाकृष्ण के प्राचीन परंपरा का निर्वहन करते चले आ रहे है।
लक्ष्मण प्रसाद शर्मा बरसाना। भले ही नंदगांव के लोगों से हमारा कोई निजी रिश्ता नहीं है, लेकिन हम आज भी राधा की सहचरियों के रूप मे नंदगांव को अपनी ससुराल मानते हैं। इसलिए बेझिझक होली के दौरान नंदगांव के लोगों पर अपनी प्रेममयी लाठी बरसाते हैं।
इंदु गौड़ बरसाना। बरसाना-नंदगांव के बीच भले ही लठामार रंगीली होली ब्राह्माण वर्ग में होती है, लेकिन राधा-कृष्ण के प्रेममयी लीलाओं का निर्वाहन करते हुए दोनों ही गांव के सभी वर्ग के लोग उसी प्राचीन रिश्ते को निभाते चले आ रहे हैं।
भीम चौधरी नंदगांव। यह राधा-कृष्ण के दिव्य प्रेम की ही ताकत है कि दोनों गांव में कोई सबंध भी नहीं, फिर भी रिश्ता जीजा-साले जैसा। भले ही मेरी नंदगांव में ससुराल हो, लेकिन बरसाना के लोगों से भी मेरा प्रेम भरा रिश्ता है। इसलिए तो हम उनकी किसी मजाक का बुरा नही मानते।
मधु तिवारी नंदगांव।
नंदगांव में करीब डेढ़ सौ परिवार हैं हमारे। भले ही हमारा धर्म अलग हो लेकिन ब्रजभूमि में रहते हुए कहीं न कहीं लगाव राधा-कृष्ण की लीलाओं से हो चुका है। तभी तो आजतक बरसाना व नंदगांव के मध्य कोई निकाह नहीं हुआ है।
सलीम नंदगांव। इसे इत्तेफाक कहो या राधाकृष्ण के प्रेम की लीला। एक ओर जहां हिदू धर्म में कभी नंदगांव बरसाना के मध्य शादी विवाह नहीं हुआ। वहीं आज तक नंदगांव और बरसाना के बीच कभी किसी मुस्लिम परिवार का निकाह भी नही हुआ है।
सलाम बरसाना।