रंगीली गली से बाहर होरी खेलन कूं तुरिया रहीं हुरियारन
गोस्वामी समाज भी संकरी गली के स्थल से चलकर चौक की कर रहा तलाश रंगीली गली तक नहीं पहुंच पाते बरसाना आने वाले हजारों देश विदेश के श्रद्धालु
मथुरा, मनोज चौधरी। बरसाना की कुंज गलियों में लला को घेर कर तड़ातड़ लाठियां बरसाने वाली किशोरजू और उनकी सखियां अब रंगीली गली के धमाल को दूसरे स्थल पर मचाने के लिए मचल रहीं हैं। गोस्वामी समाज भी वर्तमान स्थिति को समझ रहा है। इसलिए रंगीली गली की होरी का हल्ला किसी दूसरे चौक पर मचाने का मन बन चुका है। बस, उस स्थल की तलाश की जा रही हैं।
मंदिर से नीचे उतर कर जब कुंवर कन्हैया अपने सखाओं के साथ आते हैं, तभी सखियां उनको गलियों में घेर लेती है। इन्हीं गलियों में से एक है रंगीली गली। इसी गली में किशोरीजू सखियों के साथ जब कान्हा को नृत्य कराने के साथ ही उनके ऊपर रंग, गुलाल और अबीर उड़ाती हैं, तब कान्हा हंसी ठिठोली और परिहास पर उतर आते हैं। प्रिया प्रीतम का ये अनुराग रंगीली गली में जब मर्यादा लांघता है, तभी गोपियां लाठी उठा लेती है। बस, लाठियां उठाईं और नटवरनंद किशोर समेत उनके सखाओं पर बरसाईं तो बरसाना की लठामार होली शुरू हो गई। रंगीली गली में होली देखने का जो आनंद मिलता है, वह शायद ही दूसरी किसी गली में मिले। इसी गली में बरसाना की विश्व प्रसिद्ध लठामार होली सदियों से होती आ रही है। इस क्षण का गवाह बनाने के लिए देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं। श्रद्धालुओं की बढ़ती तादाद से रंगीली गली की होली में हर कोई शरीक नहीं हो पा रहा है। गोस्वामी समाज भी इसको समझ रहा है और सुरक्षा एजेंसियां भी इस बात से ¨चतित हैं कहीं आतंकी इसे साफ्ट टारगेट न बना लें। परंपरागत लठामार होली रंगीली गली में होती चली आ रही है। भीड़ बढ़ रही है। हर श्रद्धालु रंगीली गली तक नहीं पहुंच पा रहा है। दूसरी गलियों में ही वह होली का आनंद ले पाते हैं। अगर, रंगीली गली में प्रतीकात्मक होली खेली जाए और दूसरे स्थल का चयन करके वहां लठामार होली का आयोजन हो तो कोई आपत्ति नहीं है। इससे सभी लोग होली का आनंद ले सकेंगे और सुरक्षा के भी पुख्ता प्रबंध हो जाएंगे।
डॉ. कृष्ण मुरारी गोस्वामी, रिसीवर श्रीलाडिली जी महाराज मंदिर पहले भी रंगीली गली से लठामार होली शुरू होती थी और उसका समापन सुदामा चौक पर ही होता था। होली को बढ़ाया जाना चाहिए। इस पर पहले से ही समाज विचार कर रहा है। प्रतीकात्मक होली रंगीली गली में खेलने के बाद मुख्य आयोजन श्याम चौक पर किया जा सकता है। होली का विस्तार होने पर कोई एतराज भी नहीं है।
आचार्य मनोज कृष्ण शास्त्री, सेवायत श्रीजी मंदिर लठामार होली की शुरुआत में ठाकुरजी को किशोरी जू ने कुंज गलियों में ही घेरा था। वे मानती थीं कि कन्हैया को खुले मैदान में नहीं घेरा जा सकता है। खुले मैदान में उनकी कान्हा और सखाओं से हार हो जाएगी। इसलिए कुंज गलियों से होली की शुरुआत हुई थी। अब भी वहीं होली होनी चाहिए और इसको विस्तार देते हुए पुराना अड्डा (कटरा चौक) पर लठामार होली का मुख्य आयोजन होना चाहिए। वहां देखने वाले भी आनंदित होंगे और सुरक्षा को भी कोई खतरा नहीं होगा।
रामभरोसे गोस्वामी, मुखिया गोस्वामी समाज बरसाना