हाईवे से धौली प्याऊ मार्ग जर्जर, चलना हुआ दुश्वार
मथुरा संस। आगरा-दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग दो से धौली प्याऊ होते हुए शहर को जाने वाला मुख्य रास्ता करीब एक वर्ष से जर्जर पड़ा हुआ है। हालात ये हैं कि यहां से गुजरते समय सुबह से शाम तक रोजाना करीब आठ से दस वाहन चालक दुर्घटना का शिकार होते हैं। सड़कों में दो-दो फीट गहरे गड्ढे हैं। क्षेत्र में पानी की निकासी न होने और बरसात के समय इन गड्ढों में पानी भर जाने से वाहन चालकों को इनकी गहराई का पता नहीं लगता। इससे वे कई बार गड्ढों में गिरकर चोटिल हो जाते हैं।
संवाद सहयोगी, मथुरा : आगरा-दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग दो से धौली प्याऊ होते हुए शहर को जाने वाला मुख्य रास्ता करीब एक वर्ष से जर्जर पड़ा हुआ है। हालात ये हैं कि यहां से गुजरते समय सुबह से शाम तक रोजाना करीब आठ से दस वाहन चालक दुर्घटना का शिकार होते हैं। सड़कों में दो-दो फीट गहरे गड्ढे हैं। क्षेत्र में पानी की निकासी न होने और बरसात के समय इन गड्ढों में पानी भर जाने से वाहन चालकों को इनकी गहराई का पता नहीं लगता। इससे वे कई बार गड्ढों में गिरकर चोटिल हो जाते हैं।
दरअसल, धौली प्याऊ का रास्ता शहर को हाईवे से जोड़ता है। यह हाईवे से शहर में प्रवेश करने वाले मुख्य रास्तों में शुमार है। क्षेत्र के लोगों को गंगाजल उपलब्ध कराने के लिए यहां करीब एक साल पहले सड़क की खुदाई की गई। इसके बाद सड़क को बनाया नहीं गया। समय के साथ सड़क और जर्जर होती गई। हालात ये हैं कि आज यह रास्ता स्थानीय लोगों के साथ-साथ यहां से गुजरने वाले राहगीरों के लिए मुसीबत का सबब बना हुआ है। एक तो सड़क में दो-दो फीट गहरे गड्ढे और उनमें भरा पानी स्थानीय लोगों और वाहन चालकों की मुसीबत बढ़ा रहा है। बीएसए कार्यालय से नारायणपुरी गली तक तो रास्ते ही हालत दयनीय है। वाहन चालकों को गड्ढे में गिरने से बचाने के लिए स्थानीय लोगों ने गड्ढे को लक्कड़ से भर दिया है। इससे दिन के समय तो लोग बच कर निकल जाते हैं लेकिन रात के समय दिखाई न देने से कई बार दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं। प्रशासनिक अधिकारी और जनप्रतिनिधि भी आमजन की इस समस्या से अनजान नहीं हैं। मगर लोगों की इस समस्या की ओर उनका कोई ध्यान नहीं है।
कैबिनेट मंत्री के आवास को जाता है रास्ता: इस सड़क मार्ग की खास बात यह है कि यह शहर को हाईवे से जोड़ने के साथ ही कैबिनेट मंत्री चौधरी लक्ष्मी नारायण के निवास को भी जाता है। इस रास्ते से न जाने कितनी ही बार उनकी गाड़ी निकलती है और उनको दचकियां खानी पड़ती हैं। इससे तो ऐसा लगता है कि प्रशासनिक अधिकारी उनकी सुनते नहीं या फिर उन्होंने भी आमजन की इस समस्या से मुंह मोड़ लिया हो। कारण चाहे जो भी हो सड़क भले ही न बने मगर उसके गड्ढों को तो भरवाया जा सकता है, जिससे लोग दुर्घटना से बच सकें।