पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी के दायरे में लाए काउंसिल: प्रधान
बढ़ती कीमत के दो कारण गिनाकर देश के हालात बताएस्वास्थ्य और सेवा क्षेत्र में खर्च बढ़ने से अधिक टैक्स की वसूली
संवाद सहयोगी, वृंदावन: केंद्रीय पेट्रोलियम एवं इस्पात मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि कच्चे तेल की कीमतों में इजाफा होने से पेट्रोलियम पदार्थों की कीमत में बढ़ोत्तरी हो रही है। सभी दलों को चाहिए कि वे पेट्रोलियम पदार्थो को जीएसटी के दायरे में लाने के लिए जीएसटी काउंसिल से मांग करें। ऐसा होने पर सभी राज्यों के दामों में एकरूपता आ सकेगी।
वात्सल्य ग्राम में गुरुवार को वैशिष्ट्यम दिव्यांग विद्यालय की आधारशिला रखने आए धर्मेंद्र प्रधान ने पत्रकार वार्ता में कहा कि पेट्रोलियम पदार्थों की मूल्यवृद्धि के दो कारण हैं। एक, अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में उछाल और दूसरा, कोरोना महामारी के बाद विश्व में तेल की डिमांड कम होकर अब एक साथ बढ़ना। पिछले साल जब कच्चे तेल की डिमांड में कटौती हुई, तो भारत ने उसका समर्थन किया था। तब कहा गया था जनवरी-फरवरी तक उत्पादन सामान्य हो जाएगा। डिमांड अब सामान्य हो चुकी है, लेकिन सप्लाई उस ढंग से नहीं हो पा रही है। उत्पादक देश ज्यादा डिमांड बढ़ने पर ज्यादा मुनाफा कमाने और अपने देश को लाभ दिलाने के लिए दाम बढ़ा रहे हैं। हम उत्पादक देशों के साथ बात कर रहे हैं कि वे ऐसा नहीं कर सकते।
उन्होंने कहा कि कोरोना विभीषिका के बाद केंद्र सरकार लोगों को रोजगार देने और बेहतर स्वास्थ्य सेवा पर पिछले वर्षों की तुलना में 32 फीसद अधिक खर्च कर रही है। राज्य सरकारें भी खर्चा बढ़ा रही हैं। सरकार जो टैक्स एकत्रित करते हैं, उसे इसी तरह राष्ट्र की सेवा में प्रयोग में लाया जाता है।
पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी के दायरे में लेकर आने के सवाल पर कहा, ये सवाल पक्ष और विपक्ष का नहीं है। जीएसटी काउंसिल से हम पिछले चार साल से पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी के दायरे में लाने की अपील कर रहे हैं।
- मिसाल साबित होगा विद्यालय
केंद्रीय मंत्री प्रधान ने बताया, वात्सल्य ग्राम में वैशिष्ट्यम दिव्यांग विद्यालय के नवीन भवन का निर्माण ओएनजीसी के सामाजिक उत्तरदायित्व योजना के तहत किया जा रहा है। वात्सल्य ग्राम ने समाजसेवा की नई मिसाल खड़ी की है। वैशिष्ट्यम दिव्यांग विद्यालय एक मिसाल साबित होगा। राहुल गांधी के उत्तर और दक्षिण भारतीय से जुड़े बयान पर कहा उनके परिवार को जिस उत्तरप्रदेश ने दिल्ली भेजा, उसके बारे में गलतबयानी करना उचित नहीं। दक्षिण में जाकर उत्तर को नीचा दिखाना, उनकी तुच्छ मानसिकता का परिचायक है।