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टिड्डी हमले को तैयार, कृषि विभाग लाचार

सरकारी गोदामों में नहीं कीटनाशक प्राइवेट सेक्टर पर निर्भर प्रधान और किसानों को किया अलर्ट खतरे में खेती गुरुवार दोपहर तक राजस्थान के करौली जिले तक पहुंच चुके थे टिड्डी दल के शुक्रवार सुबह तक मथुरा जिले में आने की आशंका

By JagranEdited By: Published: Fri, 22 May 2020 04:40 AM (IST)Updated: Fri, 22 May 2020 06:08 AM (IST)
टिड्डी हमले को तैयार, कृषि विभाग लाचार
टिड्डी हमले को तैयार, कृषि विभाग लाचार

जागरण संवाददाता, मथुरा : राजस्थान में फसलों का सूपड़ा साफ करते हुए उत्तर प्रदेश की तरफ बढ़ रहे टिड्डी दल को बॉर्डर पर रोकने के लिए कृषि विभाग के पास कोई तैयारी नहीं है। गुरुवार दोपहर तक राजस्थान के करौली जिले तक पहुंचे टिड्डी दल के शुक्रवार सुबह तक यहां आने की आशंका है। गुरुवार को कृषि विभाग और विज्ञानियों की हुई मीटिग के बाद ग्राम प्रधान और किसानों को आगाह किया गया कि वे टिड्डी को रोकने के लिए कीटनाशक दवा के छिड़काव के साथ ढोल, ड्रम, थाली बचाते हुए सामूहिक शोर करें। लेखपाल और कृषि विभाग के अधिकारियों को भी बॉर्डर के गांव पर निगरानी के लिए लगाया जा रहा है।

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पाकिस्तान से जैसलमेर बॉर्डर को पार करके भारत में दाखिल हुई टिड्डी दल राजस्थान के कई जिलों में फसलों और पेड़ पौधों की पत्तियों को खाते हुए आगे बढ़ रही हैं। राजस्थान के करौली जिले तक टिड्डी दल दोपहर तक पहुंच चुके थे। मथुरा जिले से करीब 160 किलोमीटर दूर पहुंचे टिड्डी दल 10-12 किलोमीटर प्रतिघंटा की गति से मथुरा और आगरा की तरफ बढ़ रहा है। टिड्डी दल शुक्रवार सुबह तक जनपद में आ सकता है। जिला कृषि रक्षा अधिकारी विभाति चतुर्वेदी ने बताया कि अभी यह नहीं कहा जा सकता है कि टिड्डी दल किस दिशा में रुख करेंगे। शाम को अंधेरा होते ही यह विश्राम करती हैं और सुबह आठ बजे तक सोती हैं। इसी बीच इस पर काबू किए जाने की तैयारियों को लेकर आज कृषि विज्ञान केंद्र के विज्ञानी डॉ. एसके मिश्रा, रविद्र सिंह राजपूत, उपकृषि निदेशक शोध तेजवीर सिंह तेवतिया, उपकृषि निदेशक धुरेंद्र कुमार, भूमि संरक्षण अधिकारी संतराम, प्रगतिशील किसानों की मीटिग भी बुलाई गई। किसानों को सतर्क किया जा रहा है। ग्राम प्रधानों की मदद ली जा रही है। ऐसे किसानों को चिह्नित किया जा रहा है कि जिनके पास ट्रैक्टर की स्प्रे मशीनें हैं। उनको बॉर्डर पर छिड़काव के लिए लगाया जा सकता है। इस तरह करें नियंत्रण

-टिड्डी का प्रकोप होने पर सभी किसान मिलकर टीन के डिब्बे, ढोल, नगाड़े, थाली आदि बजाकर सामूहिक रूप से शोर करें।

-बलुई मिट्टी टिड्डी के प्रजनन व अंडे देने के लिए अनुकूल होती हैं। जहां टिड्डी दल आक्रमण करता है तो वहां जुताई कर दें और पानी भर दें। इससे आगे टिड्डी का विकास नहीं होगा।

-क्लोरपाइरीफॉस 20 फीसद ईसी, लेमडासाइहैलोथ्रिन 5 फीसद ईसी, मैलाथियान 96 फीसद यूलएलवी में से एक कीटनाशक का छिड़काव करें। क्लोरोपारीफॉस 20 प्रतिशत ईसी अथवा लेमडासाइहैलोथ्रिन 5 फीसद ईसी का छिड़काव असरकारक होगा।

ये गांव होंगे पहले प्रभावित :

ओल, झपरा, रसूलपुर, फौंडर, नगला खारी, नगला धाम, लोरियापट्टी, आजल, सौंख, बछगांव, कौंथरा, नगला देविया, गांठौली, दौसेरस, ऊंचागांव, जानू, नंदगांव, नहारा, हाथिया, आन्यौर, जतीपुरा, लहचौरा। इन दिनों ये फसलें खड़ी हैं :

ज्वार, बाजरा, कपास, टमाटर, लौकी, तोरई, कद्दू, मिर्च, खीरा, पालक, धानिया, करैला, भिडी, बैंगन आदि। टिड्डी अपने वजन से भी दस गुना अधिक खाती हैं। जब फसलें इसको खाने के लिए नहीं मिलती है, तब यह पेड़ पौधों की पत्तियों को खाना शुरू कर देती हैं।

बोले कृषि अधिकारी

लॉकडाउन के कारण कृषि रक्षा इकाई पर कीटनाशक की आपूर्ति नहीं हो सकी। हालांकि प्राइवेट सेक्टर में कीटनाशक पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। इसके लिए प्राइवेट सेक्टर से बातचीत हो गई है। टिड्डी दल के आने पर एक लाख रुपये तक की कीटनाशक खरीदने के मौखिक निर्देश प्राप्त हो गए हैं।

-विभाति चतुर्वेदी, जिला कृषि रक्षा अधिकारी।

1962 में हुआ था हमला

वर्ष 1962 में टिड्डी दल पाकिस्तान से राजस्थान होकर आई थी। उस समय टिड्डी को मारने के लिए गांवों के बाहर खाई खोदी गई थी। कूड़ा-करकट डालकर उसमें आग लगा दी गई थी। पानी भरकर उसमें मिट्टी का तेल डाला गया था। इसके साथ ही झामे से ग्रामीणों ने सामूहिक रूप से मारने का काम किया था। जहां ये रुकती थीं, उस इलाके में आग लगा दी जाती थी। तब कहीं जाकर इस पर नियंत्रण हुआ था। उसके बाद 1995 में भी इसका प्रकोप हुआ था, लेकिन वह दल के रूप में नहीं आई थीं, इसलिए उसको नियंत्रित कर लिया गया था।

-केएल वर्मा, सेवानिवृत्त सहायक विकास अधिकारी कृषि रक्षा

गांव में नहीं हैं कोई इंतजाम

राजस्थान सीमा पर बसे गांव झपरा के किसान दुलीचंद कहते हैं कि गांव में टिड्डी दल से निपटने के लिए कोई इंतजाम नहीं किए गए हैं। सरकारी स्तर पर भी अभी तक कोई प्रयास नहीं किए गए हैं। अगर, आई तो उनके यहां खड़ी मूंग और ज्वार की फसल को खा जाएगी। पुरा गांव के किसान राजेंद्र सिंह ने बताया कि टिड्डी दल के आने की उनको जानकारी है, लेकिन निपटने के कोई उपाय नहीं किए गए हैं। आने पर वह बाजार से ही कीटनाशक लाकर छिड़काव करेंगे। सौंख के किसान विजय सिंह कुंतल ने बताया कि टिड्डी दल आने की उनको कोई जानकारी नहीं है। इसलिए कोई इंतजाम नहीं किए गए हैं। गांव लोरियापट्टी खए चंद्रभान सिंह ने बताया कि कई साल से टिड्डी नहीं आई है, इसलिए कोई इंतजाम किसानों ने नहीं किए हैं। टिड्डी को लेकर गांव में कोई व्यवस्था नहीं की गई कि उसके कहर से फसलों को बचाया जा सके। यही कहना है गांव कटैलिया के किसान रामीवर सिंह का।


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