बाजरा खरीद को नहीं खोले गए सरकारी क्रय केंद्र
किसानो को कुछेक ¨जसो का न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिल पा रहा है। बाजारा की सरकारी खरीद न किए जाने से किसानों को अपनी उपज को दलाल मनमानी कीमतों पर खरीद रहे हैं। मथुरा अनाज मंडी में बाजरा की आवक नगण्य है, जबकि राया मंडी में आठ-नौ सौ बोरी रोजना आवक हो रही है। कम आवक के पीछे किसान बेहतर मूल्य मिलने की उम्मीद में अपने उत्पादन को बिक्री के लिए मंडियों में लेकर नहीं आ रहे हैं
जागरण संवाददाता, मथुरा: किसानों को कुछेक ¨जसो का न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिल पा रहा है। बाजरा की सरकारी खरीद न किए जाने से किसानों की उपज दलाल मनमानी कीमतों पर खरीद रहे हैं। मथुरा अनाज मंडी में बाजरा की आवक नगण्य है, जबकि राया मंडी में आठ-नौ सौ बोरी रोजना आवक हो रही है। कम आवक के पीछे किसान बेहतर मूल्य मिलने की उम्मीद में अपने उत्पादन को बिक्री के लिए मंडियों में लेकर नहीं आ रहे हैं।
केंद्र सरकार ने जुलाई में ही खरीफ फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित कर दिए थे। खरीफ की मुख्य फसल धान की ही सरकारी खरीद करने के लिए जिले में सोलह स्थानों पर सरकारी क्रय केंद्र खोले जा रहा है। बाजरा, ज्वार, उड़द, मूंग समेत दूसरी खरीफ फसलों की खरीद के लिए स्थानीय स्तर पर कोई सरकारी केंद्र नहीं खोला गया है। इसका फायदा कमीशन एजेंट उठा रहे हैं। बाजरा का एमएसपी 1950 रुपये तय किया गया है। बाजरा खरीद के लिए सरकारी क्रय केंद्र न खोले जाने के कारण मंडियों में बाजरा के भाव 1200 से 1361 रुपये तक मथुरा मंडी में गुरुवार को बोले गए। यहां बाजरा की आवक भी नगण्य है। पूरी मंडी में तीन किसान ही अपना बाजरा बेचने के लिए आए थे, जबकि उपमंडी राया में 800-900 बोरी की आवक इन दिनों रोजना हो रही है। यहां अधिकतम भाव 1250 रुपये ¨क्वटल तक बने हुए हैं। किसानों को एमएसपी से आठ-नौ सौ रुपये प्रति ¨क्वटल कम कीमत पर दलालों के हाथ बेचने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। जिला खाद्य विपणन अधिकारी राजेश्वर प्रताप ¨सह ने बताया कि अभी तक शासन से मथुरा में बाजरा की खरीद करने के लिए कोई निर्देश जारी नहीं किए गए हैं।