क्षीरसागर के जल पर करेगा शोध जीएलए
मथुरा : क्षीरसागर और तालाब में वर्षों से भरे पानी के आचमन व स्नान से फैलने रोगों पर जीएलए द्वारा रिसर्च किया जाएगा।
जागरण संवाददाता, मथुरा : क्षीरसागर और तालाब में वर्षों से भरे पानी के आचमन व स्नान से फैलने वाली बीमारियों के बारे में जानने के लिए जीएलए विवि के बायो-टैक्नोलॉजी के दो शिक्षकों को भारत सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ बायोटैक्नोलॉजी, नई दिल्ली से रिसर्च प्रोजेक्ट पर कार्य करने का अवसर प्रदान किया गया है। इस प्रोजेक्ट में 16 लाख रुपये के बजट का प्रावधान है।
प्रो. नितिन वाही और आदित्य सक्सैना ने बताया कि क्षीर सागर और तालाबों में वर्षों से जमे पानी के कारण एलगी (काई) जम जाती है। इसमें तमाम ऐसे जीवाणु होते हैं जो गंभीर बीमारियों को जन्म देते हैं। ऐसे जीवाणुओं की खोज करने के लिए यह कार्य किया जाएगा। इस प्रोजेक्ट का शुभारंभ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूएसए में आयोजित इण्डो-यूस स्टार्टअप कनैक्ट 2015 में किया था। डीन रिसर्च प्रो. अनिरुद्ध प्रधान ने बताया कि विवि प्रशासन द्वारा प्रदत्त शोध सुविधाओं का विस्तारण है। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. दुर्ग सिंह चौहान, प्रतिकुलपति प्रो. आनंद मोहन अग्रवाल, निदेशक प्रो. अनूप कुमार गुप्ता एवं विभागाध्यक्ष प्रो. अशोक कुमार भाटिया तथा विभागीय शिक्षकों ने नितिन वाही को बधाई दी।
तीन करोड़ के प्रोजेक्ट पर कार्य--
न्यूजैन आईडीसी के मुख्य समन्वयक एवं एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. मनोज चौबे ने बताया कि इस प्रोजेक्ट के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने करीब तीन करोड़ की धनराशि तय की है, जिसमें से कुछ धनराशि जारी हो गई है। इस प्रोजेक्ट को बीटेक, बीबीए, एमबीए, एमटेक, बीसीए, डिप्लोमा इंजीनिय¨रग के छात्रों द्वारा तैयार किया जा रहा है।