शिक्षा के साथ जुड़े संस्कार तो मिले सच्ची सफलता
जीएलए विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में बोले गृहमंत्री राजनाथ
मथुरा, जासं: नैतिक चरित्र और उच्च मूल्य के बिना शिक्षा अधूरी है। सच्ची सफलता तो शिक्षा के साथ संस्कार के जुड़ने पर ही संभव है। इसके अभाव में एक पढ़े लिखे आतंकी और एक आम इंसान में अंतर संभव नहीं है। वर्ल्ड ट्रेंड सेंटर पर हमला करने वाला भी तो पढ़ा लिखा ही था। भारत के विश्व गुरु होने का मतलब उसकी शिक्षा पद्धति में संस्कारों का होना ही है।
जीएलए विश्वविद्यालय के सातवें दीक्षा समारोह में भारत सरकार के गृह मंत्री राजनाथ ¨सह ने नव दीक्षातों को यही सलाह दी। उन्होंने कहा कि दीक्षा का अंत हो सकता है लेकिन शिक्षा का नहीं। यहां से जाने के बाद डिग्रीधारी जहां भी जो काम करें वहां से भी वह कुछ न कुछ शिक्षा रोज लेंगे। वह जीवन का ज्ञान होगा। मगर, दीक्षा के साथ संस्कार जुड़े होते हैं। उन्होंने चीन के एक विद्वान का हवाला देते हुए कहा कि 2 हजार साल से भारत अपने विचारों के बल पर बिना एक भी सैनिक भेजे चीन के लोगों को प्रभावित कर रहा है। अपने तकरीबन 15 मिनट के भाषण में उन्होंने बिना राजनीतिक मुद्दों को छुए सारगर्भित और मौजूं भाषण दिया। उन्होंने गणित और विज्ञान के तमाम सूत्रों का हवाला देते हुए अपनी बात कही। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि डीआरडीओ के पूर्व डायरेक्टर डॉ. वीजी सेकरन ने छात्रों को समय की मांग के मुताबिक खुद को तैयार करने की सलाह दी। उन्होंने विज्ञान के बढ़ते अवसरों का भी जिक्र किया। नालंदा विश्वविद्यालय के चांसलर डॉ. बीपी भाटकर ने कहा कि ब्रज की यह भूमि विशिष्ट है। यह भगवान की लीलाओं की साक्षी भूमि है। इस जगह पर जीएलए विश्वविद्यालय बेहतर काम कर रहा है। उन्होंने गृहमंत्री से अनुदान के मामले में सरकारी विश्वविद्यालय की तरह ही निजी विश्वविद्यालय का भी ध्यान रखने की बात कही।
इससे पहले कुलाधिपति नारायण दास ने डिग्रीधारियों को दीक्षा मंत्र दिया। उपकुलपति दुर्ग ¨सह चौहान ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। रजिस्ट्रार अनूप कुमार गुप्ता ने संचालन किया। सोसायटी सेक्रेटरी नीरज अग्रवाल, विधायक का¨रदा ¨सह, विधायक पूरन प्रकाश, द ब्रज फाउंडेशन के अध्यक्ष विनीत नारायण, बांके बिहारी महेश्वरी, प्रदीप गोस्वामी, सिद्धार्थ चतुर्वेदी आदि मौजूद रहे।