मथुरा के किस उत्पाद को मिल गया जीआइ टैग? अब जिले को मिलेगी नई उड़ान
जीआई टैग मिलने से मथुरा को नई पहचान मिलेगी और जरी पोशाक के कारोबार को बढ़ावा मिलेगा। पहले यह कारोबार सूरत में स्थानांतरित हो गया था, जिससे कई परिवार बेरोजगार हो गए थे, लेकिन अब जीआई टैग से उन्हें नई उम्मीदें हैं।

जागरण संवाददाता, मथुरा। ठाकुर जी की पोशाक का बड़ा कारोबार मथुरा में है। लेकिन कुछ वर्षों से जरी पोशाक का काम एक तरह खत्म सा हो गया था। ज्यादातर काम सूरत में शिफ्ट हो गया है। अब जरी पोशाक को जीआइ टैग मिलने से मथुरा को नई पहचान मिली है। अब जरी पोशाक को जिले में भी नई उड़ान मिलेगी।
करीब दस वर्ष पहले जरी पोशाक का बड़ा कारोबार मथुरा में होता था। लेकिन बाद में यह सूरत स्थानांतरित हो गया। शुक्रवार को सरकार ने जरी पोशाक को जीआइ टैग दे दिया। इसका मतलब यह है कि अब जरी पोशाक मथुरा के उत्पाद के रूप में जानी जाएगी। जाहिर है इससे इस कारोबार को नई उड़ान मिलेगी।
मथुरा में वर्तमान में करीब 20 करोड़ का एक साल में कारोबार जरी पोशाक का होता है। दरअसल, जरी पोशाक और पोशाक के कारोबार में अंतर है। जरी पोशाक में जरदोजी का काम होता है,जबकि अन्य पोशाक में सामान्य काम होता है।
पोशाक कारोबारी अजय गोयल बताते हैं कि एक समय जरी पोशाक कारोबार करीब 50 करोड़ का एक वर्ष में यहां होता था, लेकिन धीरे-धीरे यह कारोबार गुजरात के सूरत में स्थानांतरित हो गया। जो पोशाक यहां एक हजार में तैयार होती है, वह सूरत में डेढ़ सौ रुपये में ही तैयार हो जाती है।
सूरत में कारोबार स्थानांतरित होने के कारण यहां पर करीब दो हजार परिवार बेरोजगार हो गए। अब जीआइ टैग मिलने से इन परिवारों को भी पहचान मिलेगी। जरी पोशाक का काम भी मथुरा के नाम से जाना जाएगा। वह कहते हैं कि यह अच्छी पहल है और अन्य पोशाक का काम जिले में कई सौ करोड़ का होता है,ऐसे में जरी पोशाक का काम भी नई उड़ान भरेगा।

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