एक कोशिश से संवर रही शिक्षा की बुनियाद
तीन साल पहले शुरू किए कार्यक्रम के अब आ रहे सार्थक परिणाम, डायट प्राचार्य बदले शिक्षण पद्धति के मायने, शिक्षक भी करते सलाम
नवनीत शर्मा, मथुरा: सरकारी स्कूलों में बुनियादी शिक्षा का जब बेड़ा गर्क हो रहा था, तब जिला शिक्षा प्रशिक्षण संस्थान के प्राचार्य ने एक 'कोशिश' की। तीन साल में सार्थक परिणाम सामने देख उनकी ख्वाहिश को पंख लग गए। आज इस संस्थान को यूपी में पहला स्थान मिला है। यहां से प्रशिक्षण लेकर गए शिक्षक उसी फार्मूला पर चलकर बुनियादी शिक्षा की नींव को मजबूत कर रहे हैं। 2015 से पहले बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में छात्रों की संख्या का ग्राफ निचले पायदान पर आ गया था। निजी शिक्षण संस्थानों की ओर अभिभावकों का रुख हो गया। इस रुख के दुष्परिणामों को पढ़ जिला शिक्षा प्रशिक्षण संस्थान के प्राचार्य मुकेश अग्रवाल ने शिक्षा सुधार को 'कोशिश' नाम से पहल की। शिक्षकों को शिक्षण कार्य में बदलाव लाने को प्रशिक्षित किया। समय गुजरता गया और परिणाम बदलते चले गए। आज बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों की दशा और दिशा दोनों में सुधार हो रहा है। छात्रों की संख्या में बढ़ोतरी हुई। प्ले स्कूलों की तरह छात्रों को पढ़ाने का काम चल पड़ा। प्रोजेक्टर पर भी शिक्षक पढ़ाने लगे। डायट की फेसबुक पर आज भी चालीस वीडियो शिक्षण करने के तौर-तरीके दुनिया भर के शिक्षकों को सिखा रहे हैं। इससे भी एक कदम आगे बढ़ कर शिक्षा विभाग की जड़ों को खोखला कर रहे दलालों की भी डायट प्राचार्य ने खोज निकाला। उनकी इस कोशिश को 2017 में राज्य पुरस्कार चयन समिति ने सम्मानित भी किया।