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राधारानी के लिए 40 साल से फूलों का हार और मुकुट बना रहीं दो बहनें

कोलकाता की मालती दासी और उनकी बहन देवूदी दासी

By JagranEdited By: Published: Sat, 15 Sep 2018 12:15 AM (IST)Updated: Sat, 15 Sep 2018 12:15 AM (IST)
राधारानी के लिए 40 साल से फूलों का हार और मुकुट बना रहीं दो बहनें
राधारानी के लिए 40 साल से फूलों का हार और मुकुट बना रहीं दो बहनें

संवाद सूत्र, बरसाना: बृषभानु दुलारी की नित्य सेवा में वैसे तो उनकी अष्ट सखियां प्रतिदिन लगी रहती हैं, लेकिन भौतिक लीला में भी उनकी नित्य सेवा करने वालों की कमी नहीं है। इनमें कोलकाता की मालती दासी और उनकी बहन देवूदी दासी भी प्रमुख हैं। दोनों 40 साल से राधारानी के लिए फूलों का हार और मुकुट बना रही हैं।

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धनाढ्य परिवार की होने के बाद भी दोनों बहनों ने राधारानी की सेवा पूजा करने के लिए अपना घर छोड़ दिया। दोनों बहनों की शादी हो चुकी है और बच्चे भी हैं, लेकिन राधारानी की भक्ति में इन्होंने सांसारिक सारे रिश्ते तोड़ दिए हैं। मालती दासी बताती हैं कि उन्हें इस मार्ग पर चलने की प्रेरणा उनके गुरु से मिली। उन्हें अच्छा लगता है जब बृषभान नंदिनी व नंदलाल उनके हाथों से बने फूलों का हार व मुकुट धारण करते हैं।

देवूदी दासी कहती हैं कि वह दुनिया की सबसे भाग्यशाली महिला हैं, क्योंकि जो नित्य सेवा राधारानी की अष्टसाखियां करती हैं, वही दिव्य सेवा उन्हें मिली है। उन्हें राधा की भक्ति उनकी बड़ी बहन मालती दासी की वजह से मिली है। राधा के लिए कृष्ण बाग के फूल

बरसाना: कृष्ण बाग में सिर्फ वृषभानु नंदिनी के लिए फूल खिलते हैं। बगीचे का माली फूलों का गुलदस्ता लेकर रोज सुबह राधारानी की सेवा में उपस्थित रहता है। कृष्ण बाग से ऊंचागांव के रहने वाले रमेश दास रोजाना सुबह फूलों का गुलदस्ता राधारानी की सेवा में भेंट करता है। इस सेवा में रमेश दास को करीब 25 साल हो गए हैं।

रमेश दास से पहले यह सेवा उनके पिता रामजी दास किया करते थे। बगीचे के माली रमेश दास ने बताया कि बगीचे में फूल तो खिलते हैं, लेकिन सिर्फ बृषभानु नंदिनी के लिए। बगीचे का निर्माण आज से सौ साल पहले उड़ीसा के रहने वाले मोहन दास भंडारी ने कराया था। उन्होंने अपनी पैतृक जमीन बेचकर बरसाना में बगीचे के लिए जमीन खरीदी और अपने हाथों से सुंगधित फूलों के पेड़ लगाए। बगीचा करीब नौ बीघा में फैला हुआ है। बृषभानु दुलारी को पियावंसा, कुंद, मोंगरा, गुलाब, मालती व हरश्रृंगार के फूलों का गुलदस्ता भेंट किया जाता है। उक्त फूलों की सुंगध राधारानी को प्रिय मानी जाती है।


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