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अलबेली सरकार की चाकरी में पूर्व सरकारी अफसर

सरकारी नौकरी के बाद कान्हा की भक्ति में रम गए बड़े अफसर किसी ने ब्रजवास किया किसी ने राधा-कृष्ण को ही माना जीवन का आधार

By JagranEdited By: Published: Tue, 27 Jul 2021 05:14 AM (IST)Updated: Tue, 27 Jul 2021 05:14 AM (IST)
अलबेली सरकार की चाकरी में पूर्व सरकारी अफसर
अलबेली सरकार की चाकरी में पूर्व सरकारी अफसर

विनीत मिश्र, मथुरा: ये ब्रज है, यहां अलबेली सरकार (राधारानी) का राज चलता है। प्रेम में रीझ जिसके आदेशों को कान्हा न टाल पाए, तो जनसामान्य की क्या मजाल। सो सेवानिवृत्ति के बाद कई अफसर यहां उनकी चाकरी को खिंचे चले आए। ताजा उदाहरण बिहार के पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे का है।

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सरकारी नौकरी से सेवानिवृत्त के बाद पांडे कथावाचक बन गए हैं। वृंदावन में पहली कथा कहने आए पांडे ने साफ कहा कि वह अब कान्हा के हाथों की वंशी हैं, जैसे बजाएंगे वैसे बजूंगा। उनसे पहले वर्ष 2009-10 में बिहार में ही डीजीपी रहे आनंद शंकर की तो आत्मा ही ब्रज में बसती है। वर्ष 2010 में सेवानिवृत्त के बाद वह 2013 में बरसाना घूमने आए। फिर वापस होने की इच्छा नहीं हुई। बरसाना की श्रीमाता जी गोशाला में वह गोसेवा और राधारानी का सुमिरन कर जीवन गुजार रहे हैं, जिस शख्स के तन पर खाकी वर्दी देख बड़े-बड़े अपराधी डरते थे, वह शख्स भक्ति में ऐसा रमा कि पहनावे के नाम पर साधारण कुर्ता -पायजामा है और गले में तुलसी की माला। माथे पर चंदन का टीका। गोशाला में ही एक कमरे में जमीन पर चटाई बिछाकर सोना आनंद शंकर की दिनचर्या में है। सुबह-शाम गायों को हाथों से चारा खिलाते हैं। कहते हैं कि अब पूरा जीवन हमने श्रीजी और बरसाना को सौंप दिया है। यहां आनंद मिलता है।

रिटायर्ड जज भी करते रहे ब्रजवास

दिल्ली में जज रह चुके अलीगढ़ निवासी विपिन चंद्र को भी अध्यात्म और ब्रज ऐसा रास आया कि रिटायर होने के बाद वह वृंदावन के अखंडानंद आश्रम में 17 साल रहे। करीब पांच साल पहले उनका निधन हुआ। यहां आकर उन्होंने अपना नाम दंडी स्वामी विपिन चंद्र महाराज रखा और वृंदावन में ही भगवत भजन करते रहे।

आइडी पंडा भी रहे कान्हा के दीवाने

कान्हा के दीवानों की सूची लंबी है। वर्ष 2005 में पुलिस महानिरीक्षक रहते डीके पंडा भी कृष्ण के प्रेम में ऐसा सम्मोहित हुए कि सखी रूप धारण कर लिया। भले ही उस दौरान वह ब्रज नहीं आए, लेकिन खुलेआम खुद को कृष्ण की दूसरी राधा बताया। पंडा का ये सखी रूप काफी चर्चा में रहा।


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