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सूरज जैसा ही तेज है सूर्य की प्रतिमा में

शक-कुषाण काल में बनी सूर्य की सबसे पहली मूर्ति, मथुरा के राजकीय संग्रहालय में मौजूद है यह मूर्ति

By JagranEdited By: Published: Sun, 13 Jan 2019 11:38 PM (IST)Updated: Sun, 13 Jan 2019 11:38 PM (IST)
सूरज जैसा ही तेज है सूर्य की प्रतिमा में
सूरज जैसा ही तेज है सूर्य की प्रतिमा में

मथुरा, योगेश जादौन। मकर संक्रांति भगवान सूर्य की उपासना का पर्व है। बहुत कम को यह जानकारी होगी सूर्य की पहली मूर्ति मथुरा में ही बनाई गई। यहां के राजकीय संग्रहालय में सूर्य की कई तरह की मूर्ति मौजूद हैं। ज्ञात इतिहास के मुताबिक सूर्य की पहली मूर्ति शक और कुषाण राजाओं के काल में बनाई गई। इन राजाओं के काल में ही भगवान कार्तिकेय की भी मूर्ति बनाई गई।

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आमतौर पर सूर्य की मूर्ति में उन्हें रथ पर आरूढ़ या फिर एक दीप्त चेहरे के तौर पर ही दिखाया जाता है। मथुरा के संग्रहालय में इससे अलग सूर्य की कई तरह की मूर्तियां हैं, जिन्हें मानव की तरह दिखाया गया है। सूर्य को भगवान के तौर पर प्रतिष्ठा तो वैदिक काल में ही मिल गई लेकिन उनकी मूर्ति पूजा का चलन कुषाण काल में शुरू हुआ।

राजकीय संग्रहालय में लाल पत्थर की अनेक सूर्य प्रतिमाएं रखी हैं, जो कुषाण काल (पहली से तीसरी शताब्दी ईसवी) की हैं। मथुरा कला में ही सूर्य की पहली मूर्ति बनाई गई। इसमें वह उकडूं बैठे दिखाई दे रहे हैं। इस मूर्ति का कशीदाकारी कोट, सलवार और ऊपर तक पहनने वाले जूते बाएं हाथ में कृपाण, शक वंश के राजकुमार चष्टन की मूर्ति जैसा ही है। एक अन्य मूर्ति में भगवान सूर्य को चार घोड़ों के रथ में बैठे दिखाया गया है। वे कुर्सी पर बैठने की मुद्रा में पैर लटकाये हुए हैं। उनके दोनों हाथों में कमल की कली है। दोनों कंधों पर सूर्य-पक्षी गरुड़ जैसे दो छोटे-छोटे पंख लगे हुए हैं। उनका शरीर 'औदिच्यवेश' अर्थात ईरानी ढंग की पगड़ी, कामदानी के चोगे (लम्बा कोट) और सलवार से ढका है। वे ऊंचे ईरानी जूते पहने हैं। उनकी वेशभूषा बहुत कुछ मथुरा से ही प्राप्त सम्राट कनिष्क की सिरविहीन प्रतिमा जैसी है। भारत में ये सूर्य की सबसे प्राचीन मूर्तियां हैं। इसके अलावा एक अन्य रथारूढ़ सूर्य की मूर्ति है, इसमें वह अपने सारथी के साथ हैं। दशावतार सूर्य की प्रतिमा भी यहां मौजूद है। ' शक और कुषाणों से पहले सूर्य की कोई प्रतिमा नहीं मिली है, भारत में उन्होंने ही सूर्य प्रतिमा की उपासना का चलन आरंभ किया और उन्होंने ही सूर्य की वेशभूषा भी वैसी दी थी, जैसी वो स्वयं धारण करते थे।'

- एसपी ¨सह, उपनिदेशक राजकीय संग्रहालय


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