मथुरा आऊं और जलेबी-कचौड़ी से चूक जाऊं, हो नहीं सकता
फिल्म अभिनेता बिजेंद्र काला के जेहन में ताजा हैं कान्हा की नगरी की यादें फिल्म मंडली की शूटिग में आए काला ने कीं दिल खोलकर बातें
विवेक दत्त, मथुरा: मथुरा आऊं और यहां की जलेबी कचौड़ी न खाऊं, ये तो हो ही नहीं सता। ब्रज की माटी का सोंधापन अभी भी मेरे अंदर है। यही कारण है कि कान्हा की नगरी में आने को लालायित रहता हूं। ये कहना है कि जाने-माने फिल्म अभिनेता बिजेंद्र काला का। मथुरा के मूल निवासी बिजेंद्र आजकल फिल्म मंडली की शूटिग के सिलसिले में आए हैं।
जागरण से विशेष बातचीत में बिजेंद्र काला कहते हैं कि होली गेट की जलेबी और कचौड़ी का स्वाद कहीं और नहीं मिलता। बिजेंद्र की गिनती हिदी फिल्मों के व्यस्त कलाकारों में है। इस समय अमिताभ बच्चन के साथ फिल्म गुलाबो-सिताबो में काम कर रहे हैं। मथुरा के ही विभिन्न लोकेशन में बनने वाली फिल्म मंडली में वह एक मुस्लिम शख्स के किरदार में हैं। काला का कहना है कि बचपन में रंगमंच के जरिए अभिनय के सफर की शुरुआत ब्रज से जुड़ी होने के नाते आज भी दिल में ब्रज धड़कता है। ब्रज में बनने वाली फिल्म के लिए मैं बिना देर किए समय निकाल लेता हूं। 90 के दशक में बिजेंद्र काला ने संदीपन विमलकांत नागर की फिल्म सुबह होने तक में काम किया और मुंबई जाने की वजह बना। उन्हें बड़ी पहचान पान सिंह तोमर फिल्म से मिली। ब्रज और यहां की भाषा को लेकर काला का कहना है कि मेरी भूमिकाओं में ब्रजवासी होने की छवि भी झलकती है। वे इस समय पागल पंथी, बंटी-बबली पार्ट 2 और शुभ मंगल ज्यादा सावधान जैसी बड़ी फिल्मों में काम रहे हैं।