आलू के समर्थन मूल्य पर किसानों को मुनाफा नहीं
पिछले साल से तीन सौ रुपये कुंतल कम के भाव बोले जा रहे मंडियों में चुनावी साल में आलू की अधिक खपत होने की किसान लगा रहे उम्मीद
मथुरा, जासं। मंडियों में आलू माटी के मोल बिक रहा है। पिछले साल से तीन सौ रुपये कुंतल कम भाव बोले जा रहे हैं। न्यूनतम समर्थन मूल्य पर आलू की बिक्री किए जाने से भी किसानों को कोई मुनाफा होने वाला नहीं है। हालांकि अभी जिले में कहीं भी आलू की खरीद करने के लिए सरकारी क्रय केंद्र नहीं खोले गए हैं।
किसानों को उम्मीद है कि चुनावी वर्ष है। चुनाव में आलू की खपत अधिक होती है। इसलिए ठीक-ठाक भाव मिल सकता है। किसान कम से कम आठ सौ रुपये कुंतल का भाव मिलने पर मुनाफा होने की बात कह रहे हैं।
किसानों का मानना है कि आलू के घाटे को आलू ही पूरा कर सकता है। यह तभी संभव है, जब उनको बाजार में आलू का भाव आठ से दस रुपये किलो तक मिले। आलू की खोदाई का काम चल रहा है और सीजन पर मंडियों में आलू के भाव चार से पांच रुपये किलो तक उत्पादकों को मिल पा रहे हैं। पिछले साल इन्हीं दिनों में किसानों को आलू के भाव 10 रुपये किलो तक मिल गए थे, लेकिन अंतिम क्षण में आलू की कीमतों में कमी आ गई थी। यहां तक किसानों को आलू कोल्ड स्टोर में ही छोड़ना पड़ गया था।
किसानों को जब तक आलू के भाव आठ से दस रुपये किलो तक नहीं मिलेंगे, तब तक उसको मुनाफा होने वाला नहीं हैं। सरकार को आलू का निर्यात करना पड़ेगा, तभी किसानों को फायदा होगा।
सुधीर कुमार रावत, पुरा सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य 589 रुपये प्रति कुंतल का तय किया है, लेकिन अभी तक खरीद करने के संबंध में शासन से कोई आदेश नहीं मिला है।
जगदीश प्रसाद, डीएचओ एक एकड़ आलू के उत्पादन पर करीब 45 हजार रुपये की लागत आ रही है, जबकि अधिकतम उत्पादन 257 बोरा (एक बोरा 50 किलोग्राम) का उत्पादन हो रहा है। कोल्ड स्टोरों में भंडारण करने पर सौ से डेढ़ सौ रुपये तक भाड़ा अलग है।
ओमप्रकाश ¨सह, कारब