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लोकतंत्र के उत्सव के बीच रोटी की चिता

मतदान के बीच खेतों में काम करते नजर आए किसान दो दिन से खराब हो रहे मौसम ने फसल पर पैदा किया संकट

By JagranEdited By: Published: Fri, 19 Apr 2019 12:20 AM (IST)Updated: Fri, 19 Apr 2019 12:20 AM (IST)
लोकतंत्र के उत्सव के बीच रोटी की चिता
लोकतंत्र के उत्सव के बीच रोटी की चिता

कोसीकलां(मथुरा), संसू। पहले मतदान और फिर काम। किसान और मजदूरों ने भी इन शब्दों को बखूबी निभाया। मतदान की लाइन में लगे लोगों में खेतों पर काम की चिता भी छायी रही। मतदान के लिए अपनी बारी आने का इंतजार इसी चर्चा के बीच कटता रहा। कोई ठंडे मौसम में काम को निपटाकर वोट डालने पहुंचा।

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गुरुवार को सात बजते ही लोकतंत्र का महापर्व शुरू हुआ। मतदान के लिए बाजार एवं प्रतिष्ठान कर व्यापारी एवं सभी वर्गों के लोग देश के मुखिया के चुनावों को दिशा देने में सहयोग दे रहे थे तो वहीं किसानों को वोट के साथ खेतों में फैले काम की चिता थी। नंदगांव ब्लॉक के गांव जाव में किसान विनोद, धन सिंह, रतिया, तोता अपने परिजनों के साथ खुले आसमान के नीचे पड़े भूसे को बुर्जी में भरकर उसे ढंक रहे थे। उन्होंने कहा वोट भी जरूरी है, लेकिन खेतों में पड़े काम को निपटाने के अलावा कोई दूसरा चारा नहीं है। दो दिन से खराब हो रहे मौसम ने फसल पर भी संकट पैदा कर दिए हैं। मतदान और काम दोनों ही जरूरी हैं। कोसी शेरगढ़ रोड पर वीरपाल भी खेतों में फसल काटने में जुटे थे। वे सुबह ही वोट डालकर आ गए थे। कहते हैं कि उनका गुजारा तो मजदूरी से ही होगा। इसलिए जल्दी लाइन में लगकर परिवार सहित वोट डाल दिया। अब रोजी रोटी के जुगाड़ में जुटे हैं। कहा कि मतदान नहीं करते तो पछतावा रहता कि हमारा पसंद का प्रत्याशी नहीं जीता। हार हो या जीत, हमें तसल्ली रहेगी कि हमने वोट किया।


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