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जाली नोट छापकर बाजार में उतार रहे गिरोह का पर्दाफाश

गोविदनगर पुलिस ने जाली नोट छाप कर बाजार में उतार रहे गिरोह का पर्दाफाश किया है। गायत्री तपोभूमि के समीप से तीन शातिर पुलिस ने गिरफ्तार किए हैं जबकि तीन साथ अभी नहीं पकड़े गए हैं। तीनों से पुलिस ने असली नोटों को स्केन करके नकली नोट छापने वाले उपकरण समेत 3.12 लाख रुपये के जाली नोट बरामद किए हैं। ये नोट पांच और दो हजार के हैं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 08 Aug 2019 12:04 AM (IST)Updated: Thu, 08 Aug 2019 06:21 AM (IST)
जाली नोट छापकर बाजार में उतार रहे गिरोह का पर्दाफाश
जाली नोट छापकर बाजार में उतार रहे गिरोह का पर्दाफाश

मथुरा: गोविदनगर पुलिस ने जाली नोट छाप कर बाजार में उतार रहे गिरोह का पर्दाफाश किया है। गायत्री तपोभूमि के समीप से तीन शातिर पुलिस ने गिरफ्तार किए हैं, जबकि तीन साथी अभी नहीं पकड़े गए हैं। पकड़े गए शातिरों से पुलिस ने असली नोटों को स्केन करके नकली नोट छापने वाले उपकरण समेत 3.12 लाख रुपये के जाली नोट बरामद किए हैं। ये नोट पांच और दो हजार के हैं।

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मथुरा, भरतपुर, आगरा और अलीगढ़ जिले के आधा दर्जन शातिर युवक असली नोटों को स्केन करके जाली नोट छापने काम कर रहे थे। बुधवार को पुलिस लाइन में पकड़े गए शातिरों की जानकारी देते हुए एसपी सिटी अशोक कुमार मीणा ने बताया कि थाना नौहझील के गांव मुडलिया का रहने वाला कैलाश उर्फ पपुआ और पड़ोसी गांव पारसौली निवासी सचिन जाली भारतीय मुद्रा छापने के मास्टर माइंड थे। भरतपुर जिले के थाना कुम्हेर के गांव पैंगोर का रहने वाला महेश कुमार उर्फ लाखन, आगरा के थाना कागारौल के गांव अथाई निवासी हसीन, नौहझील थाने के गांव मडुआका निवासी सुंदर और अलीगढ़ के टप्पल थाने के गांव सालपुर का रहने वाला गुल्फाम गैंग के सदस्य थे। सभी मिलकर पांच छह नंबर की सीरीज के जाली नोट स्केन करके छापते और उनको इन जिलों में फैले अपने साथियों को एक चौथाई का रकम लेकर देते थे। सूचना पर थाना गोविद नगर प्रभारी निरीक्षक शिव प्रताप सिंह के नेतृत्व में टीम को लगाया गया और मंगलवार दोपहर को तीन शातिर कैलाश उर्फ पपुआ, महेश कुमार उर्फ लाखन और हसीन को गिरफ्तार कर लिया, जबकि तीन शातिर पुलिस के हत्थे नहीं चढ़े हैं। उनकी तलाश की जा रही है। --बाजना के व्यापारी की भी चर्चा: बाजना कस्बा के एक व्यापारी का भी नाम जाली नोटों के धंधे में लिया जा रहा है, लेकिन पुलिस इसकी पुष्टि नहीं कर रही है। कस्बे में इसकी जोरदार चर्चा है कि व्यापारी भी जाली नोटों को खपाने में शातिरों का सहयोग करता था।


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