वादा खिलाफी प्रत्याशियों को पड़ सकती है भारी
चौपाल में बंदरों का आतंक जाम प्रदूषित यमुना व बड़े अस्पताल की मांग परेशानी नजरंदाज करने का राजनीतिक दलों पर लगाया आरोप
वृंदावन, जासं। बंदरों का बढ़ता आतंक, यमुना का शुद्धीकरण व यातायात की समस्या ये ही तो बड़े मुद्दे हैं तीर्थनगरी वृंदावन के निवासियों के। इन्हीं मुद्दों पर हर चुनाव में नगरवासियों को साथ छलावा जनप्रतिनिधियों की आदत में आ गया है। बार-बार यमुना शुद्धीकरण और बंदरों के आतंक से मुक्ति का आश्वासन और चुने जाने के बाद मुड़कर न देखना प्रत्याशियों को भारी पड़ सकता है। एक अदद ऐसा अस्पताल जिसमें आपातकालीन सेवा मरीजों को मिल सके इतना करने तक की जहमत न तो किसी सांसद ने उठाई और न ही विधायक और न मंत्री ने। बल्कि चुनाव के दौरान हर बार इन्हीं समस्याओं का निदान करने का भरोसा देने में हर दल के उम्मीदवारों ने कसर नहीं छोड़ी।
मंगलवार को ये बातें राधाकांत मंदिर में आयोजित जागरण की चुनावी चौपाल में शामिल लोगों ने रखीं। सांसद पर बंदर सफारी की वादाखिलाफी का आरोप लगाया। पांच साल में एकबार भी मुद्दे पर चर्चा न करने का उल्हाना दिया। कहा पिछले पांच साल में करीब एक दर्जन लोग बंदरों के हमले से जान गवा चुके हैं। हर साल दर्जनों लोगों को बंदर गंभीर रूप से घायल कर रहे हैं। यमुना के प्रदूषण पर कहा पांच साल पहले यमुना जल आचमन लायक न था, लेकिन अब छूने लायक भी नहीं। शहर में एक भी अस्पताल ऐसा नहीं जहां आपातकालीन सेवा मिल सके। गंभीर हालत में लोग दम तोड़ देते हैं। हरे-भरे वृक्षों से आच्छादित वृंदावन को कंक्रीट का वन अफसरों ने बना डाला। परिक्रमा मार्ग को पूरी तरह पत्थरों का बना दिया। स्वच्छता की बात करें तो 2012 में तैयार शहर की नई सीवेज व्यवस्था आज तक चालू तक नहीं हुई। बांकेबिहारी मंदिर की ऊबड़-खाबड़ गलियों में काम होता तो सांसद की छवि विदेश तक चमकती। सांसद जनता से जुड़ा और क्षेत्र की समस्याओं से रूबरू भी हो। चर्चा में आचार्य मृदुलकांत शास्त्री, आचार्य बद्रीश, रामकृष्ण त्रिपाठी, रामगोपाल शर्मा, गौरव अग्रवाल, शिवा निषाद, धीरज शर्मा, अजय अग्रवाल, केके अरोड़ा, राजीव शुक्ला, मनोज गोस्वामी, श्याम सिंह, सीताराम शर्मा, ब्रजभूषण मिश्रा मौजूद रहे। -शहर में ऐसे अस्पताल की जरूरत है जहां आपातकालीन सेवाएं मिल सकें। गंभीर बीमारी के दौरान मरीज को मथुरा तक ले जाने में देरी हो जाती है और वह दम तोड़ देता है। जबकि शहर में देश दुनिया से भी बुजुर्ग श्रद्धालु मंदिरों के दर्शन को आते हैं।
-मृदुलकांत शास्त्री। -यमुना प्रदूषण के नाम पर हमेशा ब्रज को छला गया। वृंदावन का स्वरूप यमुना से है और जब कलुषित यमुना का दर्शन श्रद्धालु करते हैं तो हृदय विचलित हो उठता है।
-रामकृष्ण त्रिपाठी। -बंदरों के आतंक से मुक्ति दिलाने का हर नेता वादा करता है। लेकिन जीतने के बाद कुछ नहीं होता। बंदर सफारी बनाने का वादा अब तक पूरा नहीं किया। जबकि बंदरों से स्थानीय लोग ही नहीं श्रद्धालु भी परेशान हैं।
-अजय अग्रवाल। -तीर्थनगरी में नशे का कारोबार चरम पर है। ये बात न केवल अधिकारियों बल्कि जनप्रतिनिधियों को भी पता है। परिवार बर्बाद हो रहे हैं। खुलेआम अवैध शराब, स्मैक जैसी नशे की वस्तुओं का कारोबार बंद होना चाहिए।
श्याम अरोड़ा।