झूठा शपथ पत्र देने पर मनोहरपुर प्रधान की कुर्सी गई
अपर जिला न्यायाधीश न्याय कक्ष चार के अमर पाल सिंह ने गांव मनोहरपुर में प्रधान पद के चुनाव में आपराधिक इतिहास और सजा को छुपाकर शपथ पत्र देने के मामले में जिलाधिकारी और उपजिलाधिकारी महावन को आदेश जारी किया है। कहा कि वह निर्णय में दिए गए विवेचन के आधार पर प्रधान महीपाल पुत्र जमुनादास के नामांकन को निरस्त करते हुए अग्रिम क्रम में अधिक मत प्राप्त करने वाले उम्मीदवार को प्रधान घोषित करने के लिए उचित आ
मथुरा, जासं। अपर जिला न्यायाधीश न्याय कक्ष चार के अमर पाल सिंह ने गांव मनोहरपुर में प्रधान पद के चुनाव में आपराधिक इतिहास और सजा को छिपाकर शपथ पत्र देने के मामले में जिलाधिकारी और उपजिलाधिकारी महावन को आदेश जारी किया है। कहा कि वह निर्णय में दिए गए विवेचन के आधार पर प्रधान महीपाल पुत्र जमुनादास के नामांकन को निरस्त करते हुए अग्रिम क्रम में अधिक मत प्राप्त करने वाले उम्मीदवार को प्रधान घोषित करने के लिए उचित आदेश जारी करें। यह कार्यवाही एक माह के अंदर सुनिश्चित करने को कहा है।
डॉ.प्रकाश चंद्र अग्रवाल एडवोकेट ने बताया कि मौजा मनोहरपुर महावन में प्रधान पद के लिए महीपाल पुत्र जमुनादास ने अपने नामांकन पत्र के साथ झूठा शपथ पत्र लगाया था। इसमें आपराधिक इतिहास और सजा छुपाते हुए दाखिल किया था। उक्त नामांकन पत्र के विरुद्ध महीपाल पुत्र रामचरन ने सहायक निर्वाचन अधिकारी विकास खंड बलदेव के समक्ष महीपाल पुत्र जमुनादास की धारा 376 आइपीसी आदि में 10 साल की सजा होने के संबंध में याचिका प्रस्तुत की। परंतु सहायक निर्वाचन अधिकारी ने महीपाल पुत्र जमुनादास का नामांकन पत्र निरस्त नहीं किया। मतदान के बाद महीपाल पुत्र जमुनादास प्रधान निर्वाचित किया गया। जिसके विरुद्ध धारा 12 सी पंचायतराज एक्ट के अंतर्गत महीपाल पुत्र रामचरन ने उपजिलाधिकारी के यहां पिटीशन प्रस्तुत किया। उपजिलाधिकारी महावन ने महीपाल पुत्र रामचरन के पिटीशन को नौ जुलाई 2018 को निरस्त कर दिया। जिसके विरुद्ध महीपाल पुत्र रामचरन ने जिला न्यायाधीश के न्यायालय में निगरानी प्रस्तुत की। उक्त निगरानी को जिला न्यायाधीश ने निस्तारण के लिए अपर जिला न्यायाधीश कक्ष चार के यहां ट्रांसफर किया। अपर जिला सत्र न्यायाधीश संख्या चार अमर पाल सिंह द्वारा उक्त निगरानी में सिविल लॉयर्स फोरम के अध्यक्ष घूरेलाल अग्रवाल एडवोकेट और डॉ.प्रकाश चंद अग्रवाल एडवोकेट को सुनकर 29 मार्च 2019 को स्वीकार किया। उपजिलाधिकारी महावन के आदेश नौ जुलाई 2018 को निरस्त करते हुए अग्रिम क्रम में अधिक मत प्राप्त करने वाले उम्मीदवार को एक माह के अंदर प्रधान घोषित करने का आदेश पारित किया है। आदेश की प्रति अनुपालन के लिए जिलाधिकारी और उपजिलाधिकारी महावन को भेजी गई है।