अस्पताल का शौचालय न बना दे कहीं बीमार, रहता है गंदा
स्वच्छता अभियान को लेकर सरकारी मानसिकता में कोई खास बदलाव नजर नहीं आ रहा। इसका प्रमाण जिला महिला अस्पताल में बाहर तीमारदारों के लिए बने शौचालय के रूप में देखा जा सकता है। शौचालय में गंदगी यह आलम है कि शौच को जाने वाला व्यक्ति किसी तरह के इंफैकशन का शिकार बीमार न हो जाए। गंदगी के कारण अधिकांश तीमारदार यहां शौच न कर अन्यत्र जाने को मजबूर हैं।
मथुरा: स्वच्छता अभियान को लेकर सरकारी मानसिकता में कोई खास बदलाव नजर नहीं आ रहा। इसका प्रमाण जिला महिला अस्पताल में बाहर तीमारदारों के लिए बने शौचालय के रूप में देखा जा सकता है। शौचालय में गंदगी यह आलम है कि शौच को जाने वाला व्यक्ति किसी भी तरह के इंफेक्शन का शिकार होकर बीमार हो सकता है। गंदगी के कारण अधिकांश तीमारदार यहां शौच न कर अन्यत्र जाने को मजबूर हैं।
डाक्टरों की मानें तो गंदा शौचालय के कारण महिलाओं को जल्द ही यूटीआइ इंफेक्शन की शिकायत होती है। महिलाओं के उपचार से जुड़े अस्पताल में शौचालय की गंदगी का यह प्रमाण उनकी लापरवाही की तस्दीक कर रहा है।
शौचालय का प्रयोग करने वाली तीमारदार महिलाओं में एक बड़ी संख्या ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं की होती है। विभागीय और प्रशासनिक अधिकारियों के द्वारा किए गए औचक निरीक्षण में शौचालय की गंदगी का सवाल कई बार सामने आया और सफाई के लिए निर्देश दिए वाबजूद इसके सफाई को लेकर गंदगी का आलम बना हुआ है। अस्पताल की संपूर्ण सफाई की जिम्मेदारी सन फेसलिटीज के कर्मचारियों के जिम्मे है। तीमारदार प्रवीण ने बताया कि शौचालय में इतनी गंदगी है कि उसमें दो मिनट ठहरने में भयंकर परेशानी महसूस हुई। नाली भी गंदगी और बहुत ही सकरी जगह में बना हुआ है। बदबू का आलम है।
इस बारे में सीएमएस डॉ. बसंत लाल का कहना है कि सफाई को लेकर किसी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। सफाई पर पूरा ध्यान दिया जाएगा।