सीआरपीएफ ने खदेड़ दी थी पाक की इंफेंट्री ब्रिगेड
1965 से पूर्व तक सीआरपीएफ करती थी सीमाओं की सुरक्षा युद्ध में चार कंपनियों ने मार गिराए थे पाक के 34 सैनिक
मथुरा, जासं। केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल 16वीं वाहिनी ने रांची बांगर स्थित मुख्यालय में शौर्य दिवस मनाया। कमांडेंट किशोर कुमार ने क्वार्टर गार्ड पर सलामी ली।
उन्होंने सैनिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए जवानों को शौर्य दिवस की महत्ता, सीआरपीएफ के बहादुरी एवं वीरतापूर्ण कार्यों के गौरवमयी इतिहास के बारे में बताया।
कमांडेंट किशोर कुमार ने बताया कि वर्ष 1965 से पूर्व सीमाओं की सुरक्षा सीआरपीएफ करती थी। वर्ष 1965 के शुरूआत में पाकिस्तानी सेना ने घुसपैठ कर भारतीय सीमाओं के अंदर कंजरकोट और डींग में स्टेंडिग पोस्ट की स्थापना कर ली थी। इसके जवाब में सीआरपीएफ की द्वितीय बटालियन की चार कंपनियों को सरदार पोस्ट पर भेजा गया था। उन्होंने बताया कि दरअसल, नौ अप्रैल 1965 को एक कंपनी गश्त के लिए बाहर गई थी, तभी पाकिस्तान की 51वीं इंफेंट्री बिग्रेड ने हमला बोल दिया। इसके जवाब में द्वितीय बटालियन की चार कंपनियों ने 12 घंटे तक रोके रखा, जबतक कि सरदार पोस्ट की सुरक्षा करने के लिए भारतीय सेना की टुकड़ियों ने आकर पोजीशन नहीं संभाल ली। युद्ध में पाकिस्तान के 34 सैनिक मारे गए, जबकि मुकाबले में सीआरपीएफ ने अपने चार जाबांज बहादुर खोए तथा दो अन्य सिपाही वीरगति को प्राप्त हुए।
तत्कालीन गृहमंत्री गुलजारी लाल नंदा ने 12 अप्रैल, 1965 को संसद में बल की प्रशंसा की। जवानों के इसी अद्वितीय साहस, वीरता और बलिदान को याद रखने के लिए सीआरपीएफ इस दिन को पराक्रम दिवस के रूप में मनाता है।
उप कमांडेंट संतरा देवी, सहायक कमांडेंट बवीता शर्मा, डॉ. शमी शेख मोहम्मद, सूबेदार मेजर मनमोहन यादव, निरीक्षक हुकम सिंह, निरीक्षक राकेश कुमार सिंह, उपनिरीक्षक हरीश कुमार, हवलदार नाहर सिंह जादौन आदि मौजूद रहे।