फसलों पर अब होगा कीट का हमला
कीट को पनपने के लिए मिल रही अनुकूल परिस्थितियां
जागरण संवाददाता, मथुरा: सुप्तावस्था में खेतों की मेंड़, गूल, चकरोड और खाली भूमि पर उगे खरपतवारों के बीच छोड़े गए अंडा और लारवा से कीटों के पैदा होने के लिए मौसम में अनुकूल परिस्थितियां मिलने लगी हैं। जो आने वाले समय में खरीफ की फसलों पर हमला कर उनको नुकसान पहुंचाएंगे। समय पर कीट-पंतगां पर नियंत्रण नहीं किया गया तो इसका असर उत्पादन पर पड़ेगा।
टिड्डा, गिड़ार, तनाबेधक और पत्ती लपेटक समेत कीट मानसून के समाप्त होने के साथ ही खेतों की मेंड़, गूल, चकरोड और खाली भूमि पर उगे खरपतवारों के बीच अपने अंडा लारवा छोड़ देते हैं। जो सुप्तावस्था में पड़े रहते हैं। गर्मियों के सीजन में किसान मेंड़, गूल आदि पर उगने वाले खरपतवारों की साफ-सफाई नहीं करते हैं। इसलिए ये नष्ट नहीं हो पाते हैं। बारिश के बाद अंडे और लारवा फूटने लगते हैं। इसके लिए मौसम अनुकूल हो गया है। कीटों के साथ ही रोग भी फसलों को नुकसान पहुंचाएंगे। धान की फसल में जड़ की गिड़ार, तनाबेधक, जीवाणु झुलसा, झोंका रोग और कपास में गूलर भेदक कीट का प्रकोप होगा।
कपास में गूलर भेदक कीट नजर आने लगा है। टिड्डे दिखाई देने लगे हैं। धान में तना बेधक कीट पौधों के तना को खाएगा। मानसून ने बीच में तेवर दिखा दिए तो सफेद मक्खी भी फसलों पर हावी हो सकती है। जिला कृषि रक्षा अधिकारी विभाति चतुर्वेदी ने बताया, अंडे और लारवा फूटने से बारिश के मौसम में कीट पैदा हो जाते हैं। उन्होंने किसानों फसलों की लगातार निगरानी करते रहे। अगर, फसल पर कोई कीट नजर आता है। तत्काल इसकी जानकारी विकास खंड स्थित कृषि रक्षा इकाई केंद्र पर तैनात कर्मचारी को दी जाएगी। रोग और कीटों पर नियंत्रण करने में लापरवाही किए जाने से फसल को काफी नुकसान हो सकता है। उन्होंने कहा, जिस रोग और कीट के लिए जिस कीटनाशक की संस्तुति विभाग ने की है, उसी का प्रयोग किया जाए। - रसीद अवश्य लें:
किसान अगर प्राइवेट सेक्टर से कीटनाशक खरीद रहे हैं तो उसकी संबंधित विक्रेता से रसीद अवश्य लें। कभी-कभी विक्रेता फसल में जो रोग और कीट नहीं होते हैं। उसकी दवा किसानों को दे देते हैं। इससे फसल में नुकसान हो जाता है। उसकी भरपाई के लिए बिना रसीद के संबंधित विक्रेता के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो पाती है। जिला कृषि रक्षा अधिकारी ने कहा, इसलिए दुकान कीटनाशक खरीदने के साथ उसकी रसीद अवश्य लें।