संरक्षित स्मारक के समीप चल रहा निर्माण कार्य
तीर्थनगरी की प्राचीन इमारतों के रखरखाव और संरक्षण की जिम्मेदारी निभा रहे पुरातत्व विभाग की कार्यप्रणाली निराली है। एक ओर जिस संरक्षित स्मारक का हवाला देते हुए सरकारी कार्य के 65 करोड़ रुपए पानी में बह गए हों।
वृंदावन: तीर्थनगरी की प्राचीन इमारतों के रखरखाव और संरक्षण की जिम्मेदारी निभा रहे पुरातत्व विभाग की कार्यप्रणाली निराली है। एक ओर जिस संरक्षित स्मारक का हवाला देते हुए सरकारी कार्य के 65 करोड़ रुपए पानी में बह गए हों। बावजूद इसके इसी संरक्षित मंदिर के पचास मीटर दायरे में निर्माण कार्य धड़ल्ले से चल रहा है। जबकि निर्माणाधीन भवन का विप्रा में नक्शा भी पास नहीं है। क्षेत्रवासियों की शिकायत पर विप्रा ने निर्माण कार्य पर रोक लगा दी है।
केशीघाट के समीप प्राचीन जुगलकिशोर मंदिर का संरक्षण पुरातत्व विभाग के अधीन है। ये वही मंदिर है, जिसके सौ मीटर दायरे में बन रहे यमुना रिवरफ्रंट कार्ययोजना पर हाईकोर्ट व एनजीटी ने इसलिए रोक लगाई थी कि कार्रदाई संस्था ने पुरातत्व विभाग से अनुमति नहीं ली थी।
इसी मंदिर से करीब पचास मीटर दूरी पर ही जानकीबल्लभ मंदिर प्रबंधन द्वारा बड़े स्तर पर निर्माण कार्य करवाया जा रहा है। जो कि पूरी तरह नियम और कानून के विपरीत है। पिछले करीब एक महीने से चल रहे निर्माण कार्य पर पुरातत्व विभाग की नजर नहीं पड़ी। जबकि क्षेत्रवासियों की मानें तो उन्होंने कई बार पुरातत्व विभाग से इस निर्माण कार्य की शिकायत भी की है। क्षेत्रीय नागरिकों डॉ. केशवाचार्य, विष्णुदान शर्मा, राजीव कुमार, सत्यप्रकाश शर्मा, बिहारी लाल, भरत शर्मा, सतीशचंद्र अग्रवाल, संजय अग्रवाल समेत करीब दो दर्जन लोगों ने शनिवार को विकास प्राधिकरण में शिकायत दर्ज करवाई। तो विप्रा ने निर्माण कार्य पर रोक लगा दी है। निर्माण का नक्शा पास नहीं है, निर्माण कार्य पर रोक लगाने के साथ एसएसपी से भी मामले की शिकायत की है। ताकि दोबारा निर्माण कार्य शुरू न हो सके।
- मनीष कुमार, अवर अभियंता,विप्रा