कन्हैया की का¨लदी के कत्ल की साजिश
नालों को टैप करने का यमुना मिशन का दावा झूठा, सुनियोजित तरीके से किया जा रहा कब्जे का प्लान
योगेश जादौन, मथुरा: यह नदी को जीते जी मार देने का अपराध जैसा है। नदियों का जीवन उनके प्रवाह में है। इस प्रवाह पर गहरा पहरा बैठाया जा रहा है। यमुना को उसके प्राकृतिक तटों से दूर कर दिया गया है। यमुना मिशन नालों को टैप करने का दावा कर रहा है। हकीकत यह है कि नाले कुछ मोड़कर यमुना में ही डाले जा रहे हैं। इससे यमुना का कुछ भला होने वाला नहीं, अलबत्ता स्वरूप जरूर बदल रहा है।
दिल्ली में यमुना नाला समान बनकर रह गई है। कुछ ऐसी ही पटकथा मथुरा में लिखी जा रही है। एक सुनियोजित तरीके से यमुना की जमीन को समतल कर उस पर कब्जा किया जा रहा है। यह सब कैसे हो रहा है, इसके लिए यमुना मिशन के काम के तरीके को समझना होगा।
यमुना मिशन ने नदी के पश्चिमी तट पर बने पुराने घाटों से करीब 50 मीटर दूर पॉकलेन से एक नाला खोदाई कराई है। दावा यह है कि बस्ती से आए गंदे जल को सीधे यमुना में गिरने से रोका जा रहा है। असल में यहीं से कब्जे की कहानी शुरू होती है। इस नाले के बगल में ही चौड़ा रास्ता बनाया है। इसमें यमुना में आने वाला और शहर का कचरा डाला गया है। फिर उस पर यमुना के ही हिस्से से गहरी खोदाई कर उसकी मिट्टी और रेत निकाल कचरे पर डाली गई। बाद में इस नाले को जगह-जगह बंदकर गहरे गड्ढे कर दिए गए। इन गड्ढों का पानी पंप रखकर यमुना में गिराया जाता है और फिर इन गड्ढों को भर दिया जाता है। गऊघाट पर इसे साफ देखा जा सकता है। दस किलोमीटर तक पुराने घाट और इस नए रास्ते के बीच ऐसे कई स्थान हैं। मोक्षधाम के पीछे तो कई मीटर हिस्से में गहरे गड्ढे कर उसे पार्क का रूप दिया जा रहा है।
यमुना मिशन का यह दावा कि नालों को यमुना में गिरने से रोका जा रहा है, मौके पर झूठा दिख रहा है। बिड़ला मंदिर से लेकर मसानी नाले तक एक लंबा नाला बनाकर पूरा गंदा पानी आज भी यमुना में ही डाला जा रहा है। 'मुझे दैनिक जागरण से ही यह मामला संज्ञान में आया है। ¨सचाई विभाग के अफसरों को पूरी रिपोर्ट बनाने को कहा गया है। मैं खुद सोमवार को नगर आयुक्त को लेकर स्थलीय निरीक्षण करूंगा। आखिर कोई बिना अनुमति के ऐसा काम कैसे कर सकता है।'
- सर्वज्ञराम मिश्रा, जिलाधिकारी
--ये हुए मनमाने काम--
- यमुना में पॉकलेन मशीन चलाकर मनमाने तरीके से खनन किया जा रहा है।
- गऊघाट के पास पक्के शौचालय बनाए गए हैं, जिसकी गंदगी नाले से सीधे यमुना में गिर रही है।
- जगह-जगह काफी जमीन को घेरकर पार्क की शक्ल दी जा रही है।
- झूले और फिसलपट्टी बनाई जा रही है।
- नाले में पंप रखकर उनका गंदा पानी यमुना में फेंका जाता है।
- यमुना तलहटी में बो¨रग की गई है, जिसके पानी से पेड़ों की ¨सचाई की जा रही है।