रेती में लोटपोट हो रमणबिहारी संग संत खेलेंगे होली
रमणरेती आश्रम में चल रही तैयारियां 27 को होगा मुख्य आयोजन
बांकेलाल सारस्वत, महावन(मथुरा) : रमणरेती लोटो नहीं कियौ न जमुना पान। रे मन तू जानौ नहीं ब्रज कौ तत्व महान। ये वही रेत है, जहां भगवान श्रीकृष्ण ने अपने बचपन में मचल कर लोटपोट हुआ करते थे। गोकुल और महावन के बीच की यह पावन भूमि पर बिछी रेत की चादर यमुना की है। यहां लाखों भक्त आज भी इसी रेत में लोटपोट होने के लिए आ रहे हैं।
महावन और गोकुल के बीच कभी यहां जंगल हुआ करता था, लेकिन बदलते परिवेश के साथ यहां भी अट्टालिकाएं विकासित हो गई हैं। कािर्ष्ण गुरु शरणानंद ने भी अपना आश्रम यमुना किनारे बना लिया है। इसका नाम भी रमणरेती आश्रम रखा है। एक समय था, जब भक्त यमुना के किनारे की रेती में लोटपोट होने के लिए दूर दराज से आते थे। अब वे आश्रम में बिछी रेती तक ही सिमट तक रह गए हैं। अब श्रद्धालु इसी रेती में लोटपोट होकर अपने धन्य समझते हैं।
उदासीन कािर्ष्ण आश्रम में होली को लेकर तैयारी शुरू हो गई है। 27 फरवरी को होली का मुख्य आयोजन होगा। आश्रम में होने वाले संतसमागम में देश भर के महामंडलेश्वर और साधु संत आएंगे। यहां संत समाज भगवान भगवान रमण बिहारीजी के साथ फूल और टेसू के रंगों से होली खेलेंगे। मध्यप्रदेश की इंदौर मंडी से ग्यारह कुंतल फूल होली खेलने के लिए मंगाए गए हैं। गुलाब, गेंदा, कमल, डेजी, चंपा, चमेली, लिली, डाहलिया, हिबिस्कुस, सूरजमुखी, मैगनोलिया, बहुलिया, कचनार, कनेर और गुलमोहर के फूल शामिल हैं। फूलों की बरसात के बीच होली का उत्सव होगा। अबीर-गुलाल भी श्रद्धालुओं पर उड़ाया जाएगा। जयपुर से लाए गए टेसू के फूलों से 11 हजार लीटर पानी में यहां रंग तैयार किया जा रहा है। कािर्ष्ण गुरुशरणानंद अपने अनुयायियों पर सोने और चांदी की पिचकारी से रंग बरसाएंगे। महामंडेलश्वर, पीठाधीश्वर और भागवताचार्य भी धर्म का संदेश देंगे।