पंजीकरण खिड़की में बंद इलाज के रास्ते
जागरण संवाददाता मथुरा दो माह के बाद जिला अस्पताल की ओपीडी तो शुरू हुई लेकिन बुजुर्गों को इलाज नहीं मिल पाया।
जागरण संवाददाता, मथुरा: दो माह के बाद जिला अस्पताल की ओपीडी तो शुरू हुई, लेकिन बुजुर्गों को इलाज नहीं मिल पाया। ग्रामीण क्षेत्रों से पहुंचे बुजुर्ग काफी देर तक इधर-उधर भटकते रहे। न तो उनका पंजीकरण हुआ और न ही उन्हें इलाज मिला। मायूस होकर वह अपने-अपने घर लौट गए।
शनिवार सुबह निर्धारित समय पर जिला अस्पताल की ओपीडी खुली। यहां एक जगह कुत्ता, बंदर के काटने के इंजेक्शन लग रहे थे, दूसरी ओर हड्डी विशेषज्ञ मरीजों का इलाज कर रहे थे। वहीं तीसरे कमरे में सर्दी, जुकाम, बुखार के मरीजों को परामर्श दिया जा रहा था। वहीं चिकित्सक मरीजों का पर्चा बना रहे थे। लॉकडाउन के बाद शुरू हुए जिला अस्पताल की ओपीडी में एक-दो की संख्या में मरीज पहुंचकर लाभ ले रहे थे। तभी गौसना निवासी 60 वर्ष के रामकिशोर पहुंचे। वह पर्चा बनवाने के लिए इधर से उधर भटक रहे थे, लेकिन पंजीकरण खिड़की बंद होने की वजह से उनका पर्चा नहीं बना। दरअसल, उनकी मांसपेशियों में खिचाव होने की वजह से पैरों में दर्द हो रहा था, उनसे चला नहीं जा रहा था। अभी रामकिशोर को इलाज मिला भी नहीं था कि सैंद गांव निवासी 65 वर्ष की रामेश्वरी जिला अस्पताल पहुंची। रामेश्वरी को एक्सरे कराना था। वह पिछले करीब एक माह से परेशान है, जिला अस्पताल बंद होने की वजह से उसने निजी चिकित्सक से परामर्श लिया, जिसने एक्सरे कराने को कहा, लेकिन महिला का जिला अस्पताल में एक्सरे नहीं हो सका। काफी देर तक महिला इधर-उधर डॉक्टरों के चक्कर काटती रही, लेकिन उसे मायूस होकर लौटना पड़ा। यह कहानी अकेले इन दो मरीजों की नहीं थीे। इसके अलावा अन्य मरीज भी जिला अस्पताल में इलाज की आस लिए हुए पहुंच रहे हैं।
वर्जन
अभी सभी मरीजों के लिए ओपीडी नहीं खुली है। अभी पंजीकरण खिड़की बंद है, जिन डॉक्टर्स की ड्यूटी लगाई जा रही है और जो सर्दी, जुकाम, बुखार के मरीजों को देख रहे हैं। वहीं अपने पास पर्चा बना रहे हैं। अभी एक जून के बाद कुछ बदलाव होने की उम्मीद है।
डॉ. आरएस मौर्या, सीएमएस - जिला अस्पताल