जवाहर बाग हिसा में सीबीआइ तीन साल में नहीं लगा सकी चार्जशीट
जागरण संवाददाता मथुरा 270 एकड़ में फैले राजकीय जवाहरबाग उद्यान की जमीन पर 2 जून 2016 में मथुरा के इतिहास में लिखे गए स्याह अध्याय के लेखकों के चेहरे चार साल में भी उजागर नहीं हो सके। असली गुनहगार की मौत भी अभी रहस्य बनी है। इसी घटना में एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी और एसओ फरह संतोष कुमार यादव शहीद हुए थे जबकि 27 कथित सत्याग्रही भी मारे गए थे। 40 लोग लापता हुए थे जिनकी आज तक तलाश पूरी नहीं हो सकी है।
जागरण संवाददाता, मथुरा : 270 एकड़ में फैले राजकीय जवाहरबाग उद्यान की जमीन पर 2 जून 2016 में मथुरा के इतिहास में लिखे गए स्याह अध्याय के लेखकों के चेहरे चार साल में भी उजागर नहीं हो सके। असली गुनहगार की मौत भी अभी रहस्य बनी है। इसी घटना में एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी और एसओ फरह संतोष कुमार यादव शहीद हुए थे, जबकि 27 कथित सत्याग्रही भी मारे गए थे। 40 लोग लापता हुए थे, जिनकी आज तक तलाश पूरी नहीं हो सकी है।
केंद्र और राज्य की राजनीति में भूचाल लाने वाली जवाहर बाग की हिसा की जांच पहले पुलिस ने की और दर्ज किए 62 मुकदमों में चार्जशीट लगा दी, लेकिन तत्कालीन सपा सरकार ने इसमें एकल सदस्यीय न्यायिक जांच कमेटी गठित करके जांच कराई, लेकिन मार्च 2017 में यह मामला सीबीआइ के हाथ में चला गया। तब से लेकर आज तक सीबीआइ अपनी जांच पूरी कर आरोप पत्र अदालत में दाखिल नहीं कर पाई है।
ऐसे हुआ कब्जा : 2014 में 500 लोगों के साथ स्वाधीन भारत और सुभाष सेना का कथित स्वयंभू रामवृक्ष यादव मध्यप्रदेश के सागर जिले से अपनी बेतुकी मांगों को लेकर दिल्ली कूच के लिए निकला था। अप्रैल 2014 में रामवृक्ष यादव ने जिला प्रशासन से दो दिन के लिए जवाहर बाग में
पड़ाव की मंजूरी मांगी। दो दिन पूरे होने के बाद जब जवाहर बाग को खाली कराने के लिए कहा गया तो रामवृक्ष यादव ने इन्कार कर दिया। उसने बाबा जयगुरुदेव का डीएम से प्रमाणित मृत्यु प्रमाण पत्र मांगा, लेकिन ग्राम पंचायत में बाबा का आश्रम होने के कारण डीएम बाबा की मृत्यु का प्रमाणपत्र नहीं दे सके। वह इसी मांग को लेकर अदालत की शरण में चला गया और मुकदमा फाइनल होने तक उसने यहीं रहने के लिए प्रार्थना पत्र भी दे दिया। प्रशासन ने निकालने के लिए बिजली पानी का कनेक्शन काट दिया। पर कुछ देर बाद ही जुड़ गए थे। कई बार प्रशासनिक अधिकारी वार्ता के लिए गए, लेकिन उसने बंधक बना लिए। बीच में पुलिस पर दो बार फायरिग की। जवाहरबाग में बैठकर रामवृक्ष यादव अपनी समानांतर सरकार चलाने लगा था। इसके लिए उसके पास रसद और धन कहां से आ रहा था, इसका आज तक पता नहीं चल सका। बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष विजयपाल तोमर ने जब हाईकोर्ट में रिट दायर की तब इसको खाली कराने के आदेश अदालत ने दिए। इसके अनुपालन के लिए प्रशासन ने प्रयास किए तो रामवृक्ष यादव ने एक जून को माइक से अधिकारियों का सिर काटने का एलान किया। उसके दूसरे दिन जब एसपी सिटी रेकी करने के लिए गए तो पहले से प्रशिक्षित उसके गुरिल्ला लड़ाके हमलावर हो गए।
जवाहरबाग अब तक का घटनाक्रम
2014 के अप्रैल में स्वाधीन भारत, सुभाषचंद बोस सेना के स्वयंभू रामवृक्ष यादव ने सागर से दिल्ली के लिए जाते समय दो दिन के पड़ाव की मंजूरी लेकर जवाहर बाग में कब्जा किया।
-2016 के जून में हिसा हुई थी। इसमें 27 कथित सत्याग्रही मारे गए और एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी और एसओ फरह संतोष कुमार यादव शहीद हुए।
-2016 जुलाई में सरकार ने घटना की न्यायिक जांच के लिए एकल सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग का गठन किया और इसकी कमान पूर्व न्यायाधीश मिर्जा इम्तियाज मुर्तजा को सौंपी थी।
-22 मुकदमे जवाहर बाग पर कब्जा करने, उद्यान विभाग के कर्मचारियों से मारपीट करने और पेड़ काटने आदि घटनाओं के संबंधित थे।
-40 मुकदमे हिसा के मामले में दर्ज हुए थे। इसमें हत्या, सरकारी कार्य में बाधा डालने और जानलेवा हमला के मामले आदि शामिल थे।
-102 कथित सत्याग्रहियों को हिसा में पुलिस ने आरोपित बनाया था।
-80 कथित सत्याग्रही मारपीट, उपद्रव समेत अन्य मामलों में आरोपित बनाए गए थे।
-2017 के मार्च में हाईकोर्ट के आदेश पर सीबीआइ को जांच सौंपी गई, सीबीआइ ने सभी पुलिसकर्मियों के बयान दर्ज कर लिए।
-धारा 302 में अब तक 60 लोग रिहा हो चुके हैं, जबकि अन्य मामलों में 125 लोग रिहा हुए थे।
-40 कथित सत्याग्रही हिसा के बाद लापता हुए थे, जिनका अभी तक कोई पता नहीं चल सका है।
-4 लोगों की मुकदमे की सुनवाई के दौरान जेल में बीमारी के कारण अब तक मौत हो चुकी है।
-5 मुकदमों में कोई गवाही नहीं होने के कारण उनको अदालत ने खारिज कर दिया और एक मुकदमे में एक वादी गवाही नहीं दे रहा है, जो अदालत में विचाराधीन है।
-मुख्य आरोपित रामवृक्ष यादव के मारे जाने की पुष्टि के लिए उसका डीएनए टेस्ट कराया गया, जिसकी रिपोर्ट अभी तक नहीं आ सकी।
-मुख्य आरोपित रामवृक्ष के पुत्र विवेक के खिलाफ सीबीआइ कोई साक्ष्य नहीं जुटा सकी और जमानत पर रिहा कर दिया गया।
-सीबीआइ अभी तक अपनी जांच पूरी कर इस मामले में चार्जशीट दाखिल नहीं कर सकी है। (आरोपितों के मुकदमे की पैरवी कर रहे अधिवक्ता एलके गौतम के अनुसार)
जवाहरबाग हिसा के शहीदों को दी श्रद्धांजलि
संस, मथुरा: जवाहरबाग में दो जून को हुई हिसा में शहीद हुए तत्कालीन एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी और एसओ संतोष कुमार यादव की पुण्यतिथि पर एसएसपी डॉ. गौरव ग्रोवर, एसपी सिटी अशोक कुमार मीणा, एसपी देहात श्रीशंचद, एसपी क्राइम राधेश्याम राय और सीओ सिटी आलोक दुबे ने श्रद्धा सुमन अर्पित किए।
महावन : जमुनापार के गांव सुखदेवपुर में 2 जून 2016 में जवाहर बाग में हुए शहीदों को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई। विद्यार्थी परिषद के पूर्व जिला प्रमुख एबीवीपी व जिला विकास समन्वय भानु प्रताप सिंह ने कहा कि ऐसे महान अधिकारियों को भुलाया नहीं जा सकता।