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गोपाल की नगरी में ठंड से कांप रहा गोवंश

ग्रामीण क्षेत्र की गोशालाओं में नहीं कोई इंतजाम गुड़ और दाने की नहीं कोई व्यवस्थाधनराशि नहीं मिल पाने के कारण ग्राम प्रधान संचालन करने से कर रहे हाथ खड़े

By JagranEdited By: Published: Thu, 05 Dec 2019 11:34 PM (IST)Updated: Fri, 06 Dec 2019 06:09 AM (IST)
गोपाल की नगरी में ठंड से कांप रहा गोवंश
गोपाल की नगरी में ठंड से कांप रहा गोवंश

जासं, मथुरा: सर्दी पाले की ठिठुरन इंसानों से ज्यादा बेसहारा पशुओं को सता रही है। गोशाला में रह रहे बेजुबानों को ठंड से बचाने को टाट और प्लास्टिक के बोरे लटका दिए हैं, कहीं ये व्यवस्था ही नहीं है। सरकारी मशीनरी अभी तक आर्थिक सहायता नहीं पहुंचा पाई तो ग्राम प्रधानों ने गोशाला संचालन से हाथ खड़े कर दिए। गोपाल की नगरी में सूखे भूसे से पेट भर रहे गोवंश को ठंड से बचाव के लिए गुड़ तक का इंतजाम नहीं हो पा रहा है।

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साधु-संत और निजी गोशालाओं में करीब 70 हजार से अधिक बेसहारा गोवंश पल रहे हैं, जबकि सरकारी गोशाला में इनकी संख्या 5800 है। इनके लिए 58 गोशाला खोली गई हैं। फरह, सौंख और वृंदावन की गोशाला में तो पशुओं को ठंड से बचाने के लिए टाट और प्लास्टिक के बोरे लगा दिए हैं, लेकिन गांवों में खोली गई गोशालाओं में ग्राम प्रधान यह भी व्यवस्था नहीं कर पा रहे हैं। तहसील मांट के गांव बाघर्रा और ऊधर में ही अभी तक प्रशासन निजी कंपनियों के सीएसआर फंड से टीनशेड का निर्माण कराने में सफल हो सका है, जबकि शेष में यह व्यवस्था नहीं हो पा रही है। रात को इनमें बेसहारा पशु ठंड से ठिठुर रहे हैं। - नहीं मिला एक भी गोभक्त : भ्रमणशील बेसहारा गाय का पालन करने के लिए पशुपालन विभाग को अभी तक कोई एक गोभक्त नहीं मिला है। सर्द मौसम की मार से बचाने के लिए भी साधन संपन्न लोग सरकारी गोशालाओं में पल रही गायों को गुड़, चोकर और हरे चारे तक की सेवा करने के लिए आगे नहीं आ रहे हैं। पशुपालन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जब तक गोसेवक आगे नहीं आएंगे, तब तक ठंड से गोवंश को बचाना मुश्किल है। - जिले में 58 सरकारी गोशाला हैं। इनमें 5800 गाय पल रही है। ठंड से बचाव के लिए कंपनियों से संपर्क किया जा रहा है। गांव बाघर्रा और ऊधर में कोसीकलां की दो कंपनी अपने सीएसआर फंड से टीनशेड का निर्माण कराया जा रहा है, जबकि अन्य गोशालाओं में भी टीनशेड निर्माण कराने के लिए दूसरी कंपनियों से संपर्क किया जा रहा है।--डॉ. भूदेव सिंह, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी -कब तक करें जेब से सेवा : फरह विकास खंड के गांव बरारी पर प्रशासन ने गोशाला का निर्माण कराया है। टीनशेड में कभी इस गोशाला में 112 गोवंश पलता था। आज इनकी संख्या घटकर 30 रह गई है। इसमें 18 नंदी है। इनको ठंड से बचाने के लिए तिरपाल लगा दी है। शासन से एक गाय के चारे दाने के लिए 30 रुपये मिलते हैं, जो जुलाई से लेकर आज तक नहीं मिल सके हैं। वह अपनी जेब से ही खल, चुनी और भूसे पर खर्च कर रहे हैं। अगर, शासन से धनराशि नहीं मिली, तो एक दिन गोशाला बंद करनी पड़ेगी।

-धर्मेंद्र, प्रधान, गांव बरारी


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