मजदूरी के नकद भुगतान से किसानों को मिलेगी निजात
बुवाई से लेकर मड़ाई तक की मजदूरी का भुगतान मनरेगा से करने पर मंथन
जागरण संवाददाता, मथुरा: किसानों को अब बुवाई के समय खेतों में होने वाले काम के लिए नकद भुगतान का टेंशन नहीं रहेगा। 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने का लक्ष्य हासिल करने के लिए सरकार बुवाई के समय खेत की तैयारी से लेकर खलिहान में मड़ाई करने वाले मजदूरों का भुगतान मनरेगा से करने पर विचार कर रही है। इस संबंध में प्रगतिशील किसानों से मांगे सुझाव कृषि विभाग ने शासन को भेजे हैं।
लखनऊ, मेरठ के बाद झांसी में 14 अगस्त को हुई कार्यशाला में कृषि विभाग, लघु ¨सचाई और ग्रामीण अभियंत्रण सेवा (आरईएस) के पांच अधिकारी और 20 प्रगतिशील किसान भी बुलाए गए थे। कृषि उत्पादन आयुक्त, कृषि सचिव और मंडलायुक्त ने खेती-बाड़ी में कब-कब मजदूरों की जरूरत किसानों को होती है, इसकी जानकारी ली थी। क्षेत्रवार मजदूरी रेट भी पूछे थे। प्रगतिशील किसान रीतराम ¨सह ने बताया कि उनसे किसानों की आय दोगुनी करने के लिए मजदूरों को मनरेगा से भुगतान करने की बात की गई थी। साथ ही ऐसा करने से लागत में कमी का ब्योरा भी मांगा गया था। किसान और खेतिहर मजदूरों के जॉब कार्ड भी बनाने की जानकारी दी गई थी।
उपकृषि निदेशक धुरेंद्र कुमार ने बताया कि किसानों से प्राप्त सुझावों को शासन को भेज दिया गया है। 2022 तक किसानों की आय दो गुना करने के लक्ष्य को पूरा करने के लिए सरकार खेतिहर मजदूरों की मजदूरी का भुगतान मनरेगा से करने की योजना बना रही है। किस कार्य के लिए कितने फीसद भुगतान होगा, इस पर मंथन चल रहा है। ये है स्थिति
-जिले में कुल किसान- 2.75 लाख
-खेतिहर किसान- 1.75 लाख
-जॉब कार्ड धारक- 1.28 लाख
-सक्रिय मनरेगा मजदूर-68128