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बीपी, हार्ट, शुगर मरीजों का सहारा, बाकी दवा कारोबार धड़ाम

-कोरोना काल में अब तक की दवा कारोबार की सबसे बड़ी गिरावट -लॉकडाउन में पुरानी बीमारियों की दवा तक खरीदने नहीं पहुंचे लोग

By JagranEdited By: Published: Fri, 29 May 2020 01:13 AM (IST)Updated: Fri, 29 May 2020 01:13 AM (IST)
बीपी, हार्ट, शुगर मरीजों का सहारा, बाकी दवा कारोबार धड़ाम
बीपी, हार्ट, शुगर मरीजों का सहारा, बाकी दवा कारोबार धड़ाम

जागरण संवाददाता, मथुरा : लॉकडाउन में अच्छा खाना और संयमित रहने का एक नतीजा ये भी है। दवा कारोबार पर बुरा असर पड़ा है। दवा कारोबार पर करीब 60 फीसद कमी दर्ज की गई है। जो काराबोर है उसमें भी 25 फीसद से अधिक बीपी, हार्ट, शुगर की दवाओं का सहारा है। लॉकडाउन में मौसमी बीमारियों की दवा की बिक्री पूरी तरह से ठप है, सिर्फ 15 फीसद में बिक्स, बाम, विटामिन, पेनकिलर दवा की बिक्री हो रही है।

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चिकित्सकों का कहना है कि एंटी बायोटिक दवाओं के साथ दर्द, गैस्ट्रो और विटामिन की दवाओं की बिक्री आमतौर पर एक साथ होती है, लेकिन इन दिनों अधिकांश लोग अपने अपने घर में कैद हैं। ऐसे में इन दिनों यह दवा बहुत कम खरीदी जा रही है। अप्रैल से डायरिया के मरीजों का ग्राफ बढ़ जाता था, लेकिन इन दिनों में डायरिया का केस सामने नहीं आया। इसकी वजह से ग्लूकोज की बोतल की बिक्री पूरी तरह से ठप है। इसके अलावा मौसम बदलने के साथ होने वाली परेशानी भी लोगों को नहीं हो रही है। उल्लेखनीय है कि जिले में एक करोड़ रुपये से अधिक प्रतिदिन के हिसाब से दवा का कारोबार होता है, जो अब 40 फीसद तक आकर सिमट गया है। यह भी एक वजह

लॉकडाउन होने की वजह से लोग घरों से बाहर नहीं निकल रहे हैं। इससे सड़क दुर्घटना भी नहीं हो रही है, जबकि हमारे यहां सबसे अधिक सड़क दुर्घटना में घायल होने वालों की संख्या है। इनके उपचार पर भी दवाओं का होने वाला खर्च पूरी तरह से ठप है। इसके अलावा लॉकडाउन में प्रसव के लिए ही ऑपरेशन हुए हैं। नर्सिंग होम व हॉस्पिटल बंद होने की वजह से अन्य तमाम तरह की बीमारियों को लेकर होने वाले ऑपरेशन भी बंद हैं।

पर्यावरण ठीक होने से भी पड़ा असर आइएमए के अध्यक्ष डॉ. अनिल चौहान का कहना है कि लॉकडाउन में पर्यावरण भी ठीक हो गया है। ऐसे में सबसे अधिक फायदा तो सांस के मरीजों को हुआ है। बहुत से ऐसे मरीज हैं, जिन्होंने दवा खाना ही बंद कर दिया है। वह पूरी तरह से स्वस्थ महसूस कर रहे हैं, नहीं तो आम दिनों में सांस के मरीजों की दवा ही अच्छी खासी बिकती थी। आइएमए सचिव डॉ. मनोज गुप्ता का कहना है गर्मियों में रोगियों को पहले से ही बारह का खाना, जंक फूड आदि के लिए मना किया जाता था, लेकिन इस बार लॉकडाउन की वजह से लोग इस तरह का खाना नहीं खा पा रहे हैं। इससे मौसम के साथ होने वाली बीमारी थम गई है। वर्जन

जिले में दो सौ से अधिक दवा की दुकानें हैं। यहां एक करोड़ से अधिक का प्रतिदिन दवा का कारोबार होता है, लेकिन लॉकडाउन की वजह से दवा कारोबार में 60 फीसद कमी दर्ज की गई है। इमरजेंसी में सिर्फ बीपी, हार्ट, शुगर की दवा ही खरीदी गई है।

-भोला यादव, अध्यक्ष, केमिस्ट एसोसिएशन

लोग घरों से बाहर निकल नहीं रहे हैं, जिसकी वजह से मौसमी बीमारी भी शांत है। इस सीजन में अभी तक हमने एक भी ग्लूकोज की बोतल नहीं बेची है। अप्रैल से ही डायरिया फैलता था, लेकिन अभी तक एक मरीज नहीं आया है। सिर्फ बीपी,शुगर, हार्ट की दवा ही सेल हो रही है।

-अमित बंसल, उपाध्यक्ष, केमिस्ट एसोसिएशन इन्फो

370 करोड़ रुपये से अधिक का सालाना दवा कारोबार

60 फीसद दवा कारोबार प्रभावित

40 फीसद लॉकडाउन में रह गया दवा का बाजार

25 फीसद बीपी, हार्ट, शुगर की अकेले दवा खरीद रहे लोग

15 फीसद में दर्द, मैस्ट्रो व विटामिन की हो रही बिक्री

200 दुकानों पर फिलहाल दवा की हो रही बिक्री


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