आज ही के दिन हुआ था बरसाना में युद्ध
जागरण संवाददाता, मथुरा: आज ही के दिन बरसाना में सन् 1773 में मुगलों के साथ भरतपुर रियासत
जागरण संवाददाता, मथुरा: आज ही के दिन बरसाना में सन् 1773 में मुगलों के साथ भरतपुर रियासत के बीच युद्ध लड़ा गया, जिसे इतिहासकारों ने बैटल ऑफ बरसाना नाम दिया। कभी बरसाना की समृद्धि की गवाह रही हवेलियां युद्ध के दौरान हुई लूटपाट की एकमात्र गवाह हैं और हवेलियों की टूट फूट, मुगल सेना द्वारा की गई लूट और तबाही की तस्दीक कर रही हैं।
बरसाना के इतिहास और संस्कृति पर शोध कर रहे योगेंद्र ¨सह छौंकर ने बताया कि बैटल ऑफ बरसाना 30 अक्टूबर 1773 में दिल्ली सल्तनत के मुगल शासक शाह आलम द्वितीय के सिपहसालार नजफ खां और भरतपुर के शासक नवल ¨सह की सेनाओं के बीच हुआ। उस वक्त कोटवन, छाता, सहार और बरसाना आदि भरतपुर शासक के अधीन थे। नजफ खां ने 12 हजार सैनिकों के साथ इन इलाकों को कब्जाने का अभियान चलाया। वह छाता और सहार होते हुए बरसाना की ओर आने लगा। जानकारी होने पर नजफ खां को जवाब देने के लिए नवल ¨सह बरसाना की ओर से आगे बढ़े। दोनों की सेना में सहार और बरसाना के बीच युद्ध हुआ। कुछ झड़पों के बाद निर्णायक युद्ध 30 अक्टूबर को हुआ। योगेंद्र इस युद्ध की चर्चा करते हुए बताते है कि नवल ¨सह की ओर से समरू नाम के एक जर्मन सेनानायक अपने पांच हजार सैनिकों के साथ लड़ा। बालानंद गुंसाई के नेतृत्व में हजारों नागाओं ने बंदूक लेकर नवल ¨सह का साथ दिया। युद्ध विजेता पक्ष के लगभग 2300 सैनिक मारे गए और दूसरे पक्ष के करीब दो हजार सैनिकों की क्षति हुई। युद्ध जीतने के बाद नजफ खां ने बरसाना की हवेलियों में जमकर लूटपाट कर आग भी लगाई। बरसाना ने जो आर्थिक वैभव भरतपुर रियासत से प्राप्त किया वह अल्पकाल में ही बर्बाद हो गया। इस युद्ध का उल्लेख इतिहासकार यदुनाथ सरकार, जुलिया कैरी और एफएस ग्राउस ने अपनी किताबों में किया है।