शरद पूर्णिमा पर बांकेबिहारी ने दिए बांसुरी बजाते हुए दर्शन
खीर और चंद्रकला का लगाया प्रसाद
जागरण संवाददाता, वृंदावन: शरद पूर्णिमा पर बुधवार को ठा. बांके बिहारी ने महारास के स्वरूप में वंशी बजाते हुए दर्शन दिए तो भक्त निहाल हो उठे। मंदिर की परंपरा में पहली बार सुबह राजभोग और शाम को शयनभोग सेवा में आराध्य ने वंशी बजाई।
शरद पूर्णिमा पर बांके बिहारी मंदिर में सुबह मोरमुकुट कटि काछनी और अधरों पर मुरली धारण किए ठा. बांके बिहारी जब स्वर्ण-रजत ¨सहासन पर विराजमान हुए तो भक्तों के जयकारों से मंदिर परिसर गुंजायमान हो उठा।
देर शाम मंदिर के जगमोहन में विराजमान ठाकुरजी पर आसमान से चंद्रमा की धवल चांदनी की रोशनी भी भक्तों को आनंदित कर रही थी। रात ठाकुरजी को श्वेत चंद्रकला और खीर का प्रसाद अर्पित किया गया। भक्तों की भारी भीड़ को देखते हुए मंदिर प्रबंधन ने पहले ही एक घंटे दर्शनों का समय बढ़ा दिया था।
-इन मंदिरों में हुए उत्सव
शरद पूर्णिमा पर राधा दामोदर मंदिर, राधारमण, राधा श्याम सुंदर, गो¨वद देव, गोपीनाथ, मदन मोहन, गोकुलानंद मंदिर के अलावा करीब पांच हजार मंदिरों में ठाकुरजी ने महारास लीला के स्वरूप में भक्तों को दर्शन दिए।
-श्रद्धालुओं ने लगाई परिक्रमा
कृष्ण कृपा धाम में चल रहे शरद उत्सव पर सुबह महामंडलेश्वर स्वामी ज्ञानानंद के सानिध्य में हजारों श्रद्धालुओं ने पंचकोसीय परिक्रमा की। इस दौरान श्रद्धालुओं की सोहनी सेवा लोगों को प्रभावित कर गई। इमलीतला में शरद उत्सव पर विदेशी भक्तों ने महंत तमालकृष्ण दास की अगुवाई में यमुना पूजन कर पंचकोसीय परिक्रमा लगाई। इस दौरान श्रद्धालु ढोल, मृदंग, मंजीरा लेकर भजन गाते चल रहे थे।