बैंक ऑडिट में बंदूक के कारतूस का भी हो रहा हिसाब
सीए वित्तीय वर्ष 2018-19 का कर रहे ऑडिट बडे़ घोटालों ने बढ़ाई माथापची बैंक करते हेरफेर
मथुरा, गगन राव पाटिल। माल्या और नीरव मोदी प्रकरण के बाद चार्टर्ड अकाउंटेंट की माथापच्ची और अधिक बढ़ गई है। बैंक ऑडिट के दौरान आलम यह है कि इसमें यहां तक देखना पड़ रहा है कि जिस सुरक्षा गार्ड के हाथ में बंदूक है, उसके कारतूस की खरीद केवल कागजों में ही तो नहीं दिखा दी गई है।
वित्तीय वर्ष 2018-19 भले बीते दिनों समाप्त हो चुका है, लेकिन चार्टर्ड अकाउंटेंट का काम अभी खत्म नहीं हुआ है बल्कि और काफी बढ़ गया है। इस समय अधिकतर सीए बैंकों के ऑडिट करने में सिर खपा रहे हैं। चार्टर्ड अकाउंटेंट के मुताबिक किसी भी बैंक मैनेजर का प्रमोशन और ट्रांसफर उसी शाखा के नॉन परफॉरमेंस एसेट्स (एनपीए) पर निर्भर करता है। यानि किश्तें सही प्रकार आ रही हैं या नहीं। कई प्रबंधक इसे छिपाने के लिए हेरफेर करते हैं। यही काम ऑडिट में देखना होता है। इस समय वित्त वर्ष 18-19 का ऑडिट चल रहा है। इसे काफी कड़ाई से किया जा रहा है। इसमें मुख्य रूप से लोन और एडवांस देखने होते हैं। इसके अलावा कैश रजिस्टर से मिलान, खाता नियमित, लोन की स्थिति जैसे पहलुओं पर भी गौर करना पड़ता है। इसमें यह भी देखना होता है कि जो सुरक्षा गार्ड शाखा के बाहर खड़ा है उसकी बंदूक के कारतू की खरीद सही प्रकार हुई है या नहीं। बैंक ऑडिट में काफी पहलुओं का ध्यान रखा जा रहा है। इस बार सख्ती भी बढ़ा दी गई है। यह बढ़ते हुए एनपीए को ध्यान में रखकर किया जा रहा है।
-आशुतोष शर्मा, सीए बैंक शाखा में नकद से संबंधित जो भी लेनदेन होता है, उसकी रिपोर्ट लेना सीए का काम होता है। इस समय यह और कड़ाई से किया जा रहा है।
अमित अग्रवाल, सीए