बैंकों की चौखट पर दम तोड़ रहा हुनर
ओडीओपी मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना में बैंकों का उदासीन रवैया 70 फीसद आवेदन पेंडिग में रहते हैं या कर दिए जाते निरस्त
गगन राव पाटिल, मथुरा: 24 वर्षीय राहुल शर्मा टोंटी का कारोबार शुरू करना चाहते थे। उन्होंने वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट (ओडीओपी) योजना में साक्षात्कार दिया। काम शुरू करने को करीब 10 लाख रुपये ऋण की जरूरत थी। फाइल बैंक में गई, लेकिन वहां से वापस कर दी गई और अपना व्यापार शुरू करने की हसरत दबी रह गई।
ऐसे कई एक उदाहरण हैं जो कारोबार शुरू करने के लिए सपने देखते हैं, लेकिन सिस्टम के आगे बेबस नजर आते हैं। ओडीओपी, मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना हो या कोई और, सभी में बैंकों की उदासीनता देखी जाती है। जितने साक्षात्कार लिए जाते हैं, उसमें बड़ी मुश्किल औसतन 10 फीसद में ही लोन पास हो पाता है। ऐसे में बेरोजगार को रोजगार नहीं मिल पाता।
जिला उद्योग केंद्र के उपायुक्त वीरेंद्र कुमार का कहना है कि सरकार का मकसद इन विभिन्न योजनाओं से लोगों को हुनरमंद बना रोजगार देना होता है, लेकिन धरातल पर ऐसा होता नहीं है क्योंकि हमारी तरफ से आवेदनकर्ता का प्रोजेक्ट तैयार कर बैंक को भेज दिया जाता है। उसके बाद अधिकतर फाइल पेंडिग या निरस्त कर दी जाती है। यह आंकड़ा करीब 70 फीसद का है।
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ये है प्रक्रिया:
योजनाओं में आवेदन मांगे जाते हैं। इसके बाद डीएम द्वारा गठित कमेटी आवेदनकर्ता का साक्षात्कार लेती है। ये फॉर्म अलग-अलग बैंक भेजे जाते हैं। बैंक द्वारा अनुमति देने के बाद सरकार द्वारा नियुक्त आर सेटी, ईडीआइ संस्थाओं द्वारा सात से 10 दिन तक का प्रशिक्षण दिया जाता है। अब तक ओडीओपी में करीब 300 लोगों को प्रशिक्षित किया जा चुका है। मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना में 90 लोगों को प्रशिक्षण मिल चुका है। --टॉक:
उनका साड़ी कढ़ाई का पुश्तैनी काम हैं। इसे वे और बढ़ाना चाहते थे। इसके लिए करीब चार लाख रुपये की जरूरत थी। मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना में आवेदन किया। डेंपियर नगर स्थित पीएनबी के पास फाइल गई। इसे लौटा दिया गया।
विश्वदीप, महेंद्र नगर --
बुक बाइंडिग प्रोजेक्ट के लिए आवेदन किया था। लगभग 25 लाख रुपये का प्रोजेक्ट था। कमेटी ने साक्षात्कार भी कर लिया था। इसकी फाइल परखम स्थित स्टेट बैंक ऑफ इंडिया शाखा पहुंची, लेकिन वहां इसे रिजेक्ट कर दिया गया।
ललित सिंह, फरह
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वर्जन:
लोन के लिए किए गए आवेदन तभी निरस्त होते हैं, जब उसमें कोई खामी पाई जाती है। इसके बहुत से कारण हो सकते हैं। ऋण देने से पहले बैंककर्मियों द्वारा मौके का मुआयना भी किया जाता है। इसमें देखा जाता है कि ऋण लेने वाला व्यक्ति इसके चुकाने लायक है भी या नहीं।
अनिल गुप्ता, अग्रणी जिला प्रबंधक, लीड बैंक