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Radha Rani: ब्रजभूमि में अष्टदल कमल सी विराजमान हैं ब्रज की महारानी राधारानी

बरसाना के ब्रह्मांचल पर्वत पर बना ब्रज की महारानी राधारानी का लाड़िली महल। आठ गांवाेें से घिरा है राधारानी का महल। इन गांवों में विराजमान हैं उनकी आठ सहेलियांं। राधाकृष्ण की लीलाओं की कल्पना अष्टसखी के बिन अधूरी हैं।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Sat, 26 Sep 2020 08:46 PM (IST)Updated: Sat, 26 Sep 2020 08:46 PM (IST)
Radha Rani: ब्रजभूमि में अष्टदल कमल सी विराजमान हैं ब्रज की महारानी राधारानी
बरसाना में पहाड़ी पर बना राधारानी का लाडि़ली महल। फाइल फोटो

मथुरा, रसिक शर्मा। ब्रह्मांचल पर्वत के किनारे बसे बरसाना की संरचना अष्टदल कमल सी बताई गई है। इसके केंद्र में पर्वत पर बने लाड़िली महल में ब्रज की महारानी राधारानी विराजमान हैं। आठ गांव उनको घेरे हुए हैं, जिनमें उनकी आठ सखियां विराजमान हैं। राधाकृष्ण की लीलाओं की कल्पना अष्टसखी के बिन अधूरी हैं। आराध्य श्रीकृष्ण की राधा आराध्य शक्ति हैं।

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बरसाना में अरावली की पर्वत श्रृंखला के ब्रह्मांचल पर्वत पर आठ सखियों के बीच राधारानी अष्टदल कमल सी विराजमान हैं। पहाड़ियों के पत्थर श्याम तथा गौरवर्ण के हैं। जिन्हें कृष्ण तथा राधा के अमर प्रेम का प्रतीक माना जाता है। मां कीरत और पिता वृषभानु की दुलारी का जन्म भादों के महीने की शुक्ल पक्ष अष्टमी को मूल नक्षत्र में हुआ था। राधारानी के दर्शन को देश विदेश के लोग बरसाना आते हैं। भक्तों की भीड़ के कारण गलियों में पैर रखने की जगह नहीं बचती। अष्टसखी ललिता, विशाखा, चित्रा, इंदुलेखा, चम्पकलता, रंग देवी, सुदेवी, तुंगविद्या के बिना राधारानी की कल्पना कृष्ण सी अधूरी है।

आठ शक्तियों के साथ विराजमान हैं किशोरीजू

बरसाना राधा के पिता वृषभानु का निवास स्थान है। बरसाना में राधा रानी का विशाल मंदिर है, जिसे लाड़िली महल के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर में स्थापित राधा रानी की प्रतिमा को ब्रजाचार्य श्रील नारायण भट्ट ने बरसाना स्थित ब्रहृमेश्वर गिरि नामक पर्वत में से संवत् 1626 की आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को निकाला था। इस मंदिर में दर्शन के लिए 250 सीढियां चढ़नी पड़ती हैं। इस मंदिर का निर्माण आज से लगभग 400 वर्ष पूर्व ओरछा नरेश ने कराया था। यहां की अधिकांश पुरानी इमारतें 300 वर्ष पुरानी हैं।भगवान श्रीकृष्ण की आह्लादिनी शक्ति राधारानी के साथ आठ की संख्या एक अद्भुत संयोग यह भी है कि राधारानी अष्टदल कमल में अष्टमी को प्रकट हुई। उनकी प्रधान सखियों की संख्या भी आठ है और उनके कान्हा का जन्म भी भादों मास में कृष्ण पक्ष की अष्टमी को हुआ।प्रिया-प्रियतम का श्रीमुख चंद्र देखना ही इनके जीवन का आधार है। अपनी आठ शक्तियों के साथ आह्लादिनी शक्ति राधारानी की अपनी सरकार है, जहां रोजाना तमाम लोग अपनी फरियाद सुनाने पहुंचते है। और उनका विश्वास बार बार उन्हें यहां खींच लाता है।

1- राधारानी की प्रधान सखी में सर्व प्रथम ललिता सखी का नाम आता है। ललिता जी ऊंचागांव में विराजमान हैं।

2- विशाखा सखी कमई गांव में निवास करती हैं।

3- चित्रा सखी चिकसौली गांव में रहती हैं, तथा इन्हें पीली साडी पहनना अधिक प्रिय है।

4- इदुंलेखा आजनौंख स्थित मंदिर में भक्तों को दर्शन दे रही हैं।

5- चपंकलता करहला गांव में विराजमान हैं।

6- रंगदेवी रांकोली गांव में रहती हैं।

7- तुंगविधा सखी डभाला गांव में निवास करती हैं।

8- सुनहरा गांव में निवास करने वाली सुदेवी राधारानी के नैनो मे काजल लगाती हैं।

कैसे पहुंचें

बरसाना दिल्ली-आगरा राजमार्ग पर स्थित कोसीकलां से 7 किमी और मथुरा से 50 किमी जबकि गोवर्धन से 23 किमी की दूरी पर बरसाना गांव बसा है। आप बस, कार या टैक्सी के जरिए यहां पहुंच सकते हैं। बरसाना के लिए मथुरा से नियमित रूप से बसें चलाई जाती हैं। अगर आप ट्रेन के जरिए बरसाना पहुंचाना चाह रहे हैं तो यहां का नजदीकी रेलवे स्टेशन कोसीकलां है। बरसाना में रहने के लिए काफी संख्या में धर्मशालाए मौजूद हैं।


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