'खाकी' की निरंकुशता पर अंकुश का 'हथौड़ा'
-एनडीपीएस में चार साल से अधिक समय से जेल में है कल्लू उर्फ योगेंद्र कोली, कोर्ट के आदेश पर
-एनडीपीएस में चार साल से अधिक समय से जेल में है कल्लू उर्फ योगेंद्र कोली, कोर्ट के आदेश पर भी पुलिस ने नहीं भेजी जांच रिेपोर्ट, एडीजे ने इसे हनन माना
जागरण संवाददाता, मथुरा: रस्सी को सांप और सांप को रस्सी बनाने में पुलिस माहिर है। पुलिस की ऐसी ही एक कार्यशैली पर अपर जिला जज की अदालत ने एनडीपीएस एक्ट में चार साल से अधिक समय से जेल में निरुद्ध कल्लू उर्फ योगेंद्र कोली के मामले में बिना किसी ठोस प्रमाण के उसे जेल में बंद रखने को व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हनन माना है। अदालत ने ऐसे पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए डीएम और एसएसपी के पास आदेश भेजा है।
कोतवाली पुलिस ने 13 जनवरी 2014 को कल्लू उर्फ योगेंद्र कोली को एनडीपीएस एक्ट में गिरफ्तार कर जेल भेजा था। उसके पास से 580 ग्राम नशीला पाउडर बरामद होने का आरोप है। पुलिस ने मामले की फर्द बरामदगी में यह दर्ज नहीं किया कि बरामद नशीला पाउडर क्या है? या फिर किस मादक वस्तु से संबंधित है। विधि विज्ञान प्रयोगशाला की कोई रिपोर्ट भी पत्रावली में संलग्न नहीं की गई। इस केस की विवेचना एसआइ नंदलाल ने की। कल्लू तभी से जेल में है। -फिर मांगी तारीख-
इस मामले में शनिवार को फिर तारीख थी, लेकिन परीक्षण रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की गई। कोतवाली के पैरोकार कांस्टेबल ने कोर्ट में स्थगन प्रार्थनापत्र देते हुए अगली तारीख देने का अनुरोध किया। परिस्थितियों पर विचार करते हुए कोर्ट ने स्थगन प्रार्थनापत्र स्वीकार तो कर लिया, मगर एफएसएल की परीक्षण रिपोर्ट दाखिल करने के लिए अंतिम अवसर देते हुए पत्रावली बहस के लिए दो जुलाई को पेश करने के आदेश कर दिए। कोर्ट ने यह दिए आदेश:
अपर सत्र न्यायाधीश अमरपाल ¨सह ने इस मामले में शनिवार को जारी आदेश में साफ कहा है कि यह विडंबना की बात है कि बगैर परीक्षण रिपोर्ट के किस आधार पर इस केस में अभियुक्त के विरुद्ध प्रसंज्ञान लिया गया है। वर्ष 2014 से आज तक परीक्षण रिपोर्ट हासिल करने का प्रयास अभियोजन पक्ष यानी पुलिस ने क्यों नहीं किया। वह खुद भी पिछले पांच जून के आदेश पत्र में यह अंकित कर चुके हैं कि इस केस की पत्रावली में विधिविज्ञान प्रयोगशाला की परीक्षण रिपोर्ट (एफएसएल) नहीं है और आरोपित पर अभी चार्ज नहीं लगा है। उस समय भी अगली तारीख पर एफएसएल की परीक्षण रिपोर्ट प्रस्तुत करने के साफ निर्देश दिए गए थे। न्यायाधीश ने आदेश में साफ कहा है कि यह मामला अत्यधिक गंभीर प्रकृति का है। बगैर किसी पर्याप्त कारणों के अभियुक्त पिछले चार साल से जेल में बंद है। उसकी व्यैक्तिक स्वतंत्रता का हनन हो रहा है। अभियोजन पक्ष अपने कर्तव्यों में पूर्ण रूप से विफल रहा है। संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई के लिए आदेश की प्रति उन्होंने जिलाधिकारी व एसएसपी को भी भेजी है।