मैनपुरी में डेंगू से एक और महिला की मौत, कई भर्ती
मैनपुरीजासं। जिले में डेंगू का कहर कम नहीं हो रहा है। अजीतगंज में एक और महिला ने प्राइवेट अस्पताल में दम तोड़ दिया जबकि कई मरीज बुखार की चपेट में हैं। ज्यादातर को आगरा के एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया जा रहा है। मरीजों को आगरा पहुंचाने के नाम पर कमीशन का मोटा खेल खेला जा रहा है।
जासं, मैनपुरी : डेंगू का कहर कम नहीं हो रहा है। अजीतगंज में एक और महिला ने प्राइवेट अस्पताल में दम तोड़ दिया, जबकि कई मरीज बुखार की चपेट में हैं। ज्यादातर को आगरा के एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया जा रहा है। मरीजों को आगरा पहुंचाने के नाम पर कमीशन का मोटा खेल खेला जा रहा है।
डेंगू के मामले थम नहीं रहे हैं। एलाऊ थाना क्षेत्र के गांव अजीतगंज निवासी बीनू (22) पत्नी गौरव कठेरिया कई दिनों से बीमार थीं। डेंगू की पुष्टि होने के बाद उन्हें आगरा के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था। सोमवार की दोपहर उनकी मौत हो गई। पखवाडे़ भर पहले ही गांव में अनिल कठेरिया की पुत्री की डेंगू से मौत हो चुकी है जबकि गांव के ही रामनरेश यादव, नवीन कुमार, मीनेश पत्नी विनोद कुमार का आगरा के प्राइवेट अस्पताल में इलाज चल रहा है।
शहर की आवास विकास कॉलोनी निवासी शिवांगी (14) पुत्री वेदप्रकाश को भी सोमवार को डेंगू बुखार से स्थिति बिगड़ने पर जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। जिले से ज्यादातर मरीजों को आगरा के प्राइवेट अस्पताल में ही पहुंचाया जा रहा है। प्रति मरीज मोटा कमीशन मिलने पर दलाल सक्रिय हैं। जो पैथोलॉजी और इमरजेंसी से ही मरीजों को घेर लेते हैं और बेहतर उपचार के नाम पर आगरा पहुंचा देते हैं। स्वास्थ्य विभाग को ढूंढे नहीं मिल रहा डेंगू
सोमवार को स्वास्थ्य विभाग की टीमों ने जरामई, कत्था फैक्ट्री के पीछे डोर-टू-डोर सर्वे कर 21 मरीजों को देखा, जिसमें सिर्फ एक बुखार पीड़ित मिला। हलपुरा, बुरौली, गोशलपुर गहियर, सुगांव, ताहरपुर, चापरी मुसलमीन, मानपुरहरी, बिल्सड़ा, बेवर का वार्ड नंबर 10, तपा की नगरिया, मुहल्ला बिरतियान, कमलनेर, इलाबांस, उद्दैतपुर, बिछिया, कलंदरपुर और ढकपुरा में लगाए कैंप में एक भी डेंगू पीड़ित नहीं मिल सका। अस्पताल में ही है संभव है इलाज
जिला अस्पताल में बनवाए गए डेंगू वार्ड में अब तक लगभग 61 मरीजों को भर्ती किया जा चुका है। इनमें से ज्यादातर मरीज पूरी तरह से ठीक होकर घर जा चुके हैं। सभी मरीजों का उपचार सरकारी दवाओं से पूरी तरह निश्शुल्क किया गया है। सारी दवाएं और पूरे इंतजाम होने के बावजूद स्वास्थ्य अधिकारी अस्पताल में डेंगू मरीजों को भर्ती करने के लिए बिस्तरों की संख्या नहीं बढ़वा रहे हैं। कोई प्रचार-प्रसार भी नहीं कराया गया है।