आनंद के चेहरे पर यातनाओं की दहशत, पांच दिन बाद लौटा स्वदेश
कुसमरा संसू। सऊदी अरब में फंसा आनंद बाथम घर लौटा तो गांव में जश्न मनने लगा। फूल मालाओं ने लादकर ग्रामीणों ने आनंद का स्वागत किया। परिजनों की खुशी का भी ठिकाना नहीं था। घर लौटने पर आनंद भी खुश था लेकिन जब उससे बीते दिनों के बारे में पूछा गया तो चेहरे पर खौफ दिखाई देने लगा। रूंधे गले से सिर्फ इतना कह सका कि भइया विदेश कमाने कोई मत जाना। घर में रहकर रूखा-सूखा खाकर गुजर कर लेना। विदेश कमाने के सपने सिर्फ दुख ही देते हैं।
संसू, कुसमरा: सऊदी अरब में पांच महीनों से आफत में फंसा आनंद बाथम आखिर घर लौट आया मगर वहां मिलीं यातनाओं की दहशत अभी भी उसके चेहरे की रंगत बदल देती है। आनंद बताते हैं कि वहां खतरनाक केमीकल के काम में लगाया गया था। मना करने पर मैनेजर डंडे बरसाता था। कंपनी से निकालने के बाद भी हम लोग जहां नजर आ जाते, वहीं पर पिटाई की जाती। होटल के बाहर हम लोगों को भीख में जो मिल जाता, उसी से पेट भर लेते थे।
थाना एलाऊ के गांव विरतिया निवासी आनंद बाथम एक दलाल के जरिए 17 मार्च को सऊदी अरब के रियाद शहर में नौकरी करने गया था। उसने दलाल को इसके लिए करीब डेढ़ लाख रुपये दिए थे। आनंद के साथ उप्र के सात अन्य युवक भी थे। आनंद ने बताया कि रियाद में पहले दिन से ही यातनाएं शुरू हो गई थीं। उस जैसे हिदुस्तानियों को केमीकल पाउडर के पैकेटों की जांच में लगाया गया। केमीकल की दुर्गंध से 10 मिनट में ही चक्कर आने लगते। कुछ देर आराम के बाद फिर काम में लगा दिया जाता। काम बदलने की कहने पर मैनेजर मुंशी खां व उसका भाई जफर खां डंडे बरसाता था। कंपनी में उप्र के आजमगढ़ का तबरेज अली की भी हिस्सेदारी है। तरबेज भद्दी-भद्दी गालियां देता था। कंपनी से निकलने के बाद वो सब खुले आसमान के नीचे आ गए। रियाद में पुरुष भिखारी दिखाई नहीं देते। महिला भिखारी सिर्फ भोजन मांगती हैं। आनंद बताता है कि हम और हमारे साथी होटलों के पास बैठ जाते थे, लोग उन्हें जो खाना दे देते थे, उसी से पेट भर लेते थे। कंपनी के लोग जहां भी देख लेते थे, वहीं पिटाई करते थे। 90 हजार वेतन का लालच, मिले 38 सौ रुपये
आनंद के अनुसार, दलाल ने उसे 10 घंटे की ड्यूटी पर भारतीय मुद्रा में प्रति माह 90 हजार रुपये वेतन मिलने का आश्वासन दिया था, लेकिन वहां तीन माह तक उसे सऊदी अरब की मुद्रा 200 रियाल प्रतिमाह दिए जाते थे, जो करीब 38 सौ रुपये के बराबर थे। टूरिस्ट वीजा पर भेजा गया सऊदी अरब
बकौल आनंद, रियाद पहुंचकर पता चला कि उन्हें तीन माह के टूरिस्ट वीजा पर यहां लाया गया है। एक वर्ष तक रहने के लिए बाद में अनुमति पत्र बनवाया गया। कंपनी से निकालने से पहले मैनेजर ने पासपोर्ट व सऊदी अरब में रहने का अनुमति पत्र कब्जे में कर लिया था। इसलिए जेल जाने का डर बना रहता था।
दूतावास के दबाव में कंपनी ने लौटाया स्वदेश
आनंद बताता है कि भारतीय दूतावास में उसे बुलाकर पूरी जानकारी ली गई। इसके बाद कंपनी अधिकारी को बुलाया गया। दूतावास का दबाव देख कंपनी ने उनके कागजात लौटाए, वापसी के लिए टिकट आदि की व्यवस्था की। 13 अगस्त को आनंद व उसके साथियों ने मुंबई के लिए उड़ान भरी। देर रात मुंबई पहुंचा। साथ लौटे साथी के रिश्तेदार ने कानपुर तक का ट्रेन टिकट दिलवाया। आनंद गुरुवार को कानपुर पहुंच गया। यहां एक रिश्तेदार के घर जाकर सहायता ली। वहां से ट्रेन से इटावा के गांव डीग में अपनी ससुराल पहुंचा। शुक्रवार सुबह अपने गांव पहुंचा। बॉक्स: घर लौट भावुक हुआ आनंद, बहनों ने बांधी राखी
परिजन ही नहीं, गांव वाले भी आनंद का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। गांव पहुंचते ही आनंद जिदाबाद के नारे लगाए गए। युवकों ने फूल मालाओं से लाद दिया। आनंद की आंखें डबडबा गई। आनंद ने कहा कि कोई भी विदेश कमाने का सपना मत देखना। हमारा गांव स्वर्ग है। मेहनत-मजदूरी करके रूखा-सूखा खा लेना, लेकिन घर-परिवार, गांव को छोड़कर कहीं मत जाना। गांव के बाहर सिर्फ मुसीबतें हैं। घर पहुंचने पर बहनों ने राखी बांध रक्षाबंधन का त्योहार मनाया।
खास बातें
- लखनऊ निवासी दलाल मुमताज था दलाल।
- आनंद ने खेत बेचकर जुटाया था डेढ़ लाख रुपया।
-आनंद ने अपने हालात का वीडियो बनाकर पत्नी रानी को भेजा था।
- रानी ने डीएम पीके उपाध्याय से मुलाकात कर मदद की गुहार की थी।
-रीना ने दलाल मुमताज के खिलाफ थाना एलाऊ में धोखाधड़ी व जालसाजी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी।
- डीएम के पत्र पर विदेश मंत्रालय ने सऊदी अरब में भारतीय दूतावास में संपर्क किया।