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बुखार से बच्ची सहित तीन की मौत

बेकाबू होता जा रहा बुखार इंसानी ¨जदगियों पर कहर बरपाने लगा है। बुखार पीड़ित एक मासूम सहित तीन लोगों की मौत हो गई। लगातार बदतर होते जा रहे हालातों पर काबू पाने के लिए प्रशासनिक स्तर पर अभी तक कोई प्रबंध नहीं कराए गए हैं। स्थिति यह है कि बेहतर उपचार के नाम पर मरीजों को सैफई और निजी चिकित्सकों की मदद लेनी पड़ रही है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 25 Sep 2018 10:44 PM (IST)Updated: Tue, 25 Sep 2018 10:44 PM (IST)
बुखार से बच्ची सहित तीन की मौत
बुखार से बच्ची सहित तीन की मौत

जासं, मैनपुरी : बेकाबू होता जा रहा बुखार इंसानी ¨जदगियों पर कहर बरपाने लगा है। बुखार पीड़ित एक मासूम सहित तीन लोगों की मौत हो गई। लगातार बदतर होते जा रहे हालातों पर काबू पाने के लिए प्रशासनिक स्तर पर अभी तक कोई प्रबंध नहीं कराए गए हैं। बेहतर उपचार के लिए मरीजों को सैफई और निजी चिकित्सकों की मदद लेनी पड़ रही है।

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बुखार पर काबू पाने को स्वास्थ्य विभाग के सभी कयास पूरी तरह से विफल होते जा रहे हैं। मई से बेकाबू हुई स्थितियां अब तक वैसी ही बनी हुई हैं। मंगलवार को इमरजेंसी में दोपहर तीन बजे तक 52 मरीज गंभीर हालत में पहुंचे। इनमें से 31 मरीज बुखार से पीड़ित थे। शहर के डीएन नगर निवासी शांती देवी (75) कई दिनों से बुखार से परेशान थीं। सोमवार की सुबह उनकी हालत बिगड़ी तो परिजन अस्पताल लेकर पहुंचे। यहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

शहर के ही मुहल्ला गाड़ीवान निवासी छोटेलाल (76) को भी बुखार से गंभीर हालत में इमरजेंसी पहुंचाया गया। उन्हें भी चिकित्सकों ने मृत घोषित कर दिया। कोतवाली क्षेत्र के गांव नगला पोपी निवासी नंदिनी (3) पुत्री चरन ¨सह को भी दो दिनों से बुखार आ रहा था। जांच कराने पर शरीर में खून की कमी और बुखार की पुष्टि हुई थी। तेज बुखार होने पर सुबह परिजन इमरजेंसी लेकर पहुंचे, जहां उपचार के आधे घंटे बाद ही मासूम ने दम तोड़ दिया।

इमरजेंसी मेडिकल ऑफिसर डॉ. आकांक्षा ¨सह का कहना है कि इमरजेंसी में बुखार पीड़ितों की संख्या काफी बढ़ गई है। स्थिति यह है कि एक-एक बिस्तर पर दो-दो मरीजों को भर्ती कर उपचार देना पड़ रहा है।

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'इमरजेंसी में बिस्तर बढ़वाने के अलावा सेफ वार्ड और डेंगू वार्ड में भी इंतजाम कराए गए हैं। अस्पताल में ही जांच की भी सुविधा है। ज्यादातर मरीज पहले प्राइवेट चिकित्सकों से उपचार कराते हैं। हालत बिगड़ने पर यहां आते हैं। बेहतर है कि इधर-उधर का उपचार लेने की बजाय वे सीधे अस्पताल पहुंचकर जांच कराएं।'

डॉ. आरके सागर

मुख्य चिकित्सा अधीक्षक

जिला चिकित्सालय, मैनपुरी।


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