सेवा का जज्बा ऐसा कि उठाने लगे कूड़ा
श्यामकिशोर यादव, दन्नाहार (मैनपुरी): समाजसेवा करते हुए लोगों को तो आपने बहुत देखा होगा। लेकिन एक व्यक्तिने सेवा का जज्बा दिखाया है, वह बहुत कम ही देखने को मिलता है।
श्यामकिशोर यादव, दन्नाहार (मैनपुरी): समाजसेवा करते हुए लोगों को तो आपने बहुत देखा होगा। लेकिन कंजाहार निवासी सत्यदेव ने समाजसेवा का एक अनोखा रास्ता चुना है। जहां भी उन्होंने गंदगी दिखाई देती है वहीं सफाई में जुट जाते हैं। पिछले दो सालों से सेवा का यह कार्य अनवरत जारी है।
विकास खंड घिरोर के गांव कंजाहार निवासी सत्यदेव (61) ने समाजसेवा को ही अपनी ¨जदगी बना लिया है। बताते चलें कि 21 वर्ष की उम्र में ही सत्यदेव सेना में भर्ती हो गए थे। देश की सेवा करते हुए जब 45 वर्ष की उम्र में जब वह सेवानिवृत्त हुए तो उन्होंने मन ही मन समाजसेवा करने का निर्णय लिया। लेकिन इसी दौरान उनकी नौकरी बैंक ऑफ इंडिया में लग गई। बैंक में कार्य करते हुए भी वे लगातार सामाजिक कार्यों में सक्रिय रहे। लम्बे अर्से तक उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि समाज की बेहतरी के लिए उन्हें क्या करना चाहिए। इसी दौरान उन्हें अहसास हुआ कि लोग अक्सर साफ-सफाई करने से बचते नजर आते हैं। बस फिर क्या था समाजसेवा के लिए उन्होंने यही रास्ता चुन लिया। इसके बाद जहां कूड़ा नजर आता वह सफाई करने में जुट जाते हैं। बीते वर्ष बैंक से सेवानिवृत्त होने के बाद उन्होंने पूरा समय इसी कार्य में लगा दिया। बस घर के काम निपटाने के बाद हाथ में झाड़ू थामकर निकल लेते। गांव में जहां कहीं भी गंदगी दिखाई देती वहीं सफाई करने लगते। पहले तो लोगों ने उन पर ध्यान नहीं दिया। लेकिन धीरे-धीरे उनकी सराहना आसपास के गांवों में भी होने लगी। जिसके बाद गांव के ही शिक्षक विदेश बाबू, अमर ¨सह, सचिन कुमार, रामरहीस, भूरेलाल, जयचंद और नीरज भी उनके साथ आ गए। आज रोजाना सभी लोग सुबह-सुबह हाथ में झाड़ू लेकर निकल लेते हैं। गांव की गलियों में झाड़ू लगाने के साथ ही आसपास कहीं भी कूड़ा पड़ा मिलता तो वे उसे भरकर सही जगह डालते। वे दो साल इस कार्य में लगे हुए हैं।
भंडारों में भी करते हैं सेवा
अगर किसी के यहां किसी सार्वजनिक भोज या भंडारे का आयोजन होता है तो सत्यदेव अपनी टीम के साथ वहां पहुंच जाते हैं। सत्यदेव बताते हैं कि कार्यक्रमों में अक्सर लोग पत्तल आदि गलत जगह फेंककर गंदगी कर देते हैं। वे न केवल इन्हें सही स्थान पर फेंककर सफाई करने का काम करते हैं बल्कि लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक भी करते हैं। वे बताते हैं कि समाज सेवा के कार्य से उन्हें आत्मिक संतुष्टि मिलती है। वे जीवन पर्यंत इस कार्य को जारी रखेंगे।