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एसडीएम ने समझाए शहीद के परिजन, टली भूख हड़ताल

पुलवामा हमले के शहीद रामवकील के स्मारक के रास्ते की मांग कर रहे परिजन युवा जाग्रति मंच के कार्यकर्ताओं ने की अनशन पर बैठने की कोशिश दो हिरासत में।

By JagranEdited By: Published: Mon, 26 Aug 2019 09:58 PM (IST)Updated: Tue, 27 Aug 2019 06:35 AM (IST)
एसडीएम ने समझाए शहीद के परिजन, टली भूख हड़ताल
एसडीएम ने समझाए शहीद के परिजन, टली भूख हड़ताल

बरनाहल, संवाद सूत्र। स्मारक के लिए रास्ते की मांग को लेकर शहीद के परिजनों की भूख हड़ताल सोमवार को टल गई। अनशन के एलान के बाद से ही प्रशासन उन्हें मनाने की जुगत में लगा हुआ था। ऐसे में रास्ते में ही रोककर उनसे वार्ता की गई। दूसरी तरफ भूख हड़ताल में शामिल होने की घोषणा करने वाले युवा जाग्रति मंच के कार्यकर्ता ब्लॉक कार्यालय पहुंच गए। यहां तकरार के बाद पुलिस ने दो युवकों को हिरासत में ले लिया।

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बीती 14 फरवरी को पुलवामा आतंकी हमले में बरनाहल के गांव विनायकपुर निवासी सीआरपीएफ जवान रामवकील शहीद हो गए थे। तब भाजपा सरकार के मंत्री सत्यदेव पचौरी ने शहीद की पत्नी को पांच बीघा का पट्टा आवंटन किया था। इसी भूमि पर शहीद की अंत्येष्टि की गई थी। यहीं पर शहीद का स्मारक बनना है। इस भूमि के आगे गांव के ही विजयपाल सिंह का खेत है और स्मारक तक जाने के लिए रास्ता नहीं है। रास्ता के लिए जगह न मिलने के कारण अब तक स्मारक निर्माण का काम भी शुरू नहीं हो सका है। शहीद रामवकील की पत्नी गीता देवी कई माह से प्रशासन से रास्ता निकलवाने की मांग कर रही हैं। इसको लेकर सोमवार से भूख हड़ताल पर बैठने का एलान किया गया था। सोमवार को गीता देवी को इटावा से अनशन पर बैठने के लिए आना था। अन्य परिजन भी उनका इंतजार कर रहे थे। इस बीच सुबह करीब 11 बजे ब्लॉक कार्यालय में अनशन पर बैठने के लिए युवा जागृति समाज सेवा समिति के युवक पहुंच गए। एसडीएम करहल रतन वर्मा ने युवाओं को वहां से हटने के लिए कहा, लेकिन युवा नहीं माने। पुलिस ने दो युवक विक्रम सिंह, मनोज कुमार को हिरासत में ले लिया। शहीद के भाई रामनरेश ने बताया कि हमें गांव में ही रोक लिया गया। एसडीएम ने गांव में शहीद के परिजनों, खेत मालिक और ग्रामीणों के साथ रास्ते के बारे में बातचीत की। करीब चार घंटे तक चली बातचीत में खेत मालिक ने दो दिन का समय मांगा है। खेत मालिक का कहना है कि हमारी पत्नी तीर्थयात्रा पर गई है। मंगलवार को लौट आने पर उससे सलाह लेनी है। भूख हड़ताल टलने के बाद हिरासत में लिए गए युवाओं को छोड़ दिया गया।


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