हरियाली को निगल गई पालिका की भूख
लगभग दो किमी लंबी सड़क के डिवाइडर पर रखे जाने थे गमले।
मैनपुरी, जागरण संवाददाता। शहर की सड़क से प्रदूषण कम करने और हरियाली बढ़ाने के उद्देश्य से तत्कालीन एसडीएम अमित ¨सह ने शहर के ईशन नदी तिराहा से करहल चौराहा तक गमले रखवाने की योजना बनाई थी। लगभग दो किमी लंबी सड़क पर तीन सौ गमलों में हरियाली लगाई जानी थी। एसडीएम ने काम शुरू कराया लेकिन तबादले के बाद बीच रास्ते से ही योजना गायब हो गई। एसडीएम द्वारा सौंपी गई जिम्मेदारी से अब पालिका प्रशासन ने किनारा कर लिया है।
तत्कालीन एसडीएम ने ईशन नदी तिराहा से भांवत चौराहा के बीच लगभग 100 गमले रखवाकर उनमें महंगे पौधे लगवाए थे। आवारा जानवरों से सुरक्षा के लिए ब्रिक गार्ड की व्यवस्था भी कराई थी। स्थानांतरण के बाद बचे हुए डिवाइडर पर गमले रखवाने का काम नगर पालिका प्रशासन को सौंपा गया था। दर्जन भर गमले रखवाने के बाद अब पालिका प्रशासन गमलों की योजना को ही डकार गया। लगभग नौ महीनों का वक्त बीत गया है। एक भी गमला नहीं रखवाया गया। एक गमले की कीमत लगभग 600 रुपये: डिवाइडर पर रखवाए गए प्रत्येक गमले की कीमत लगभग 600 रुपये बताई गई थी। दो किमी लंबी सड़क के बीचों-बीच 1.80 लाख रुपये की लागत से तीन सौ गमले रखवाए जाने थे। बमुश्किल एक सैकड़ा गमले ही रखवाए गए। 20.50 लाख रुपये की जालियों से होनी थी सुरक्षा: नगर पालिका के अभियंता अवधेश शर्मा का कहना है कि पौधों की सुरक्षा के लिए 20.50 लाख रुपये की लोहे की जालियों का प्रस्ताव बोर्ड की बैठक में रखा गया था। लेकिन, यह प्रस्ताव पास ही नहीं हो पाया। सवाल यह है कि जब प्रस्ताव पास नहीं हुआ तो नगर पालिका परिषद लिखी हुईं एक सैकड़ा जालियां कैसे लगवाई गई हैं।