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मातृ एवं शिशु चिकित्सालय के खुद फोटो खींच जेडी ने शासन को भेजे

लखनऊ से आईं जेडी ने तैयार की सुविधाओं की सूची, इसी हफ्ते स्वास्थ्य मंत्री करेंगे समीक्षा, शासन के निर्देश पर आनन-फानन में कराया गया सर्वे, रिपोर्ट लेकर जेडी लखनऊ हुईं रवाना।

By JagranEdited By: Published: Fri, 01 Feb 2019 09:30 PM (IST)Updated: Fri, 01 Feb 2019 09:30 PM (IST)
मातृ एवं शिशु चिकित्सालय के खुद फोटो खींच जेडी ने शासन को भेजे
मातृ एवं शिशु चिकित्सालय के खुद फोटो खींच जेडी ने शासन को भेजे

मैनपुरी, जागरण संवाददाता। पूर्व सपा सरकार में बनकर तैयार हुए 100 शैय्या मातृ एवं शिशु चिकित्सालय में स्वास्थ्य सेवाओं को मुहैया कराने की कवायद जोर-शोर से शुरू हो गई है। सरकार के निर्देश पर मैनपुरी पहुंचीं संयुक्त निदेशक डॉ. रंजना शर्मा ने यहां की सुविधाओं की समीक्षा कर दो दिनों में गोपनीय रिपोर्ट तैयार की है।

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स्वास्थ्य मंत्री की समीक्षा में किसी प्रकार की अड़चन न आए, इसके लिए ¨वग के अलग-अलग एंगिलों से फोटो खींचकर जेडी ने अपने मोबाइल फोन से शासन की वेबसाइट पर अपलोड कराई। इसी सप्ताह होने वाली स्वास्थ्य मंत्री की समीक्षा के लिए सर्वे रिपोर्ट के साथ वे वापस लखनऊ रवाना हो गईं। वर्ष 2017 में करोड़ों रुपये की लागत से जिला महिला चिकित्सालय परिसर में 100 शैय्या ¨वग का निर्माण कराया गया था। आचार संहिता के कारण इसके उद्घाटन पर रोक लग गई थी। बाद में सत्ता परिवर्तन हुआ तो ¨वग का उद्घाटन भी लटक गया। अब लोकसभा चुनाव से पहले दोबारा सरकार को स्वास्थ्य सेवाओं की सुध जागी है। सरकार के निर्देश पर लखनऊ से आईं जेडी डॉ. शर्मा ने 100 शैय्या भवन का बारीकी से निरीक्षण किया। उन्होंने बताया कि इसी सप्ताह स्वास्थ्य मंत्री द्वारा 100 बेड की समीक्षा होनी है। ऑनलाइन समीक्षा में इनके संचालन पर भी बात होनी है। खुद शासन ने मैनपुरी की ¨वग की रिपोर्ट मांगी है। उनका कहना है कि फोटो के आधार पर ही सुविधाओं और व्यवस्थाओं के बारे में बेहतर ढंग से जानकारी हो सकेगी। दो दिनों तक जिले में रुककर ¨वग से जुड़ी सुविधाओं की पूरी रिपोर्ट तैयार कर गुरुवार की दोपहर वे वापस लौट गईं। ये है स्थिति: मौजूदा समय में बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. देवेंद्र कुमार, डॉ. अभिषेक दुबे और महिला एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. निशिता यादव की तैनाती कराई गई है लेकिन चिकित्सकों के बैठने के लिए अभी तक कमरे उपलब्ध नहीं कराए गए हैं। न तो फर्नीचर हैं और न ही पर्याप्त दवाएं। ऐसे में बच्चों को यहां भर्ती नहीं किया जा रहा है। महिला चिकित्सालय से उधार लेकर दवाएं दी जा रही हैं।


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