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चुनाव खत्म, अब शस्त्र लाइसेंस के लिए दौड़ तेज

मैनपुरी जासं। चुनाव से पहले शस्त्र लाइसेंस के लिए कसरत करने वाले आवेदक फिर से सक्रिय हो गए हैं। नए लाइसेंस पर लगी न्यायालय की रोक हटने के बाद जिले में रिकार्ड आवेदन हुए थे। परंतु जब तक सिफारिशों का सिलिसला शुरू हुआ लोकसभा चुनाव की आचार संहित लग गई। ऐसे में शस्त्र के शौकीनों के अरमानों पर पानी फिर गया था। अब आचार संहित खत्म होने के बाद फिर लाइसेंस पाने को जुगत लगाई जा रही हैं। नये आवेदनों देने की भी शुरुआत हो गई है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 19 Jun 2019 10:51 PM (IST)Updated: Wed, 19 Jun 2019 10:51 PM (IST)
चुनाव खत्म, अब शस्त्र लाइसेंस के लिए दौड़ तेज
चुनाव खत्म, अब शस्त्र लाइसेंस के लिए दौड़ तेज

जागरण संवाददाता, मैनपुरी: चुनाव से पहले शस्त्र लाइसेंस के लिए कसरत करने वाले आवेदक फिर से सक्रिय हो गए हैं। नए लाइसेंस पर लगी न्यायालय की रोक हटने के बाद जिले में रिकार्ड आवेदन हुए थे। परंतु जब तक सिफारिशों का सिलिसला शुरू हुआ, लोकसभा चुनाव की आचार संहित लग गई। ऐसे में शस्त्र के शौकीनों के अरमानों पर पानी फिर गया था। अब आचार संहित खत्म होने के बाद फिर लाइसेंस पाने को जुगत लगाई जा रही हैं। नये आवेदनों देने की भी शुरुआत हो गई है।

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हाईकोर्ट के एक आदेश के चलते शासन ने शस्त्र लाइसेंस के नए आवेदनों पर लगभग रोक लगा रखी थी। बीते साल अक्टूबर माह में यह बंदिश खत्म कर दी गई। जिसके बाद जिले में 11 अक्टूबर से फार्म की बिक्री शुरू हुई थी। रोक जिले में आवेदन पत्रों की बाढ़ आ गई है। बीते साल अक्टूबर से लेकर इस साल मार्च की शुरुआती सप्ताह तक शस्त्र लाइसेंस के लिए करीब चार हजार आवेदन खरीदे जा चुके थे। हालांकि इस बार नियमों का इतनी कड़ाई से पालन हो रहा है कि प्रक्रिया पूरी करने में ही बहुत से आवेदकों को पसीने आ गए। इसके बाद उन्होंने लाइसेंस स्वीकृत कराने के लिए ताकत लगाई। परंतु चुनाव आचार संहित लगने के कारण सारी कोशिशों पर विराम लग गया। अब चुनाव खत्म होने के बाद नये आवेदन शुरू हो गए हैं और पुराने आवेदक भी अपनी फाइल आगे बढ़वाने के लिए सक्रिय हो गए हैं।

सत्ताधारी दल के नेताओं के यहां फिर से आवेदकों की भीड़ पहुंच रही है। सभी पार्टी और नेता के प्रति अपनी निष्ठा की दुहाई दे सिफारिश की गुजारिश कर रहे हैं। सूत्रों की माने तो वर्तमान में लगभग हर प्रमुख नेता और जनप्रतिनिधि के यहां प्रतिदिन आठ से 10 लोग शस्त्र लाइसेंस दिलाने की मांग लेकर पहुंच रहे हैं। वहीं मामले में पुलिस-प्रशासन ने सख्ता रवैया अपनाया हुआ है। ऊपर से पूरे प्रदेश में अब तक एक भी नया लाइसेंस नहीं हुआ, ऐसे में नेता सिफारिश करने में भी हिचक रहे हैं। 14 दिन में तोड़ा था 15 साल का रिकार्ड

रोक हटने के बाद अक्टूबर माह में असलाह के शौकीनों ने केवल 14 दिनों में 15 साल का रिकार्ड तोड़ दिया था। असलाह कार्यालय में बीते साल अक्टूबर माह के शुरुआती 14 दिन में असलाह लाइसेंस के 2700 फॉर्म बेचकर 27 लाख रुपये कमाए थे। पिछले 15 साल में बिके फॉर्मो से भी इतनी आमदनी नहीं हो पाई थी। यह बीते 15 साल के मुकाबले करीब 20 गुना अधिक थी।

मुकदमे के दायरे फंसे हैं 35 आवेदन

शस्त्र लाइसेंस के लिए आवेदन करते समय आवेदक को अपने आपराधिक इतिहास के बारे में जानकारी देनी होती है। ये जानकारी आवेदन पत्र में उल्लिखित करने के साथ ही शपथपत्र भी देना होता है। पुलिस ने रोक हटने के बाद हुए आवेदनों की जांच कराई थी। इसमें 35 मामलों में गलत शपथ पत्र व रिपोर्ट लगाने का मामला सामने आया था। इन मामलों में भी अब विस्तृत जांच शुरू हो गई है।

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