गांव कीरतपुर में पानी छीन रहा लोगों के दांतों की चमक
कीरतपुर में भूमिगत जल में हुई फ्लोराइड की पुष्टि 1.63 मिलीग्राम प्रति लीटर पहुंचा स्तर जल निगम ने जारी की चेतावनी पूरे गांव में चस्पा कराए पर्चे ग्रामीणों को किया जा रहा जागरूक।
मैनपुरी, वीरभान सिंह। अंधाधुंध दोहन और बढ़ते प्रदूषण की वजह से दन्नाहार थाना क्षेत्र के गांव कीरतपुर का पानी जहरीला हो चुका है। दांत और हड्डियों को कमजोर बना रहा है। यहां भूमिगत जल में मिनरल्स की बजाय फ्लोराइड की सर्वाधिक मात्रा पाई गई है। जल निगम द्वारा कराए गए सर्वे में पुष्टि होने के बाद पूरे गांव में चेतावनी नोटिस भी चस्पा कराए गए हैं। विभाग ने साफ कर दिया है कि इस पानी का सेवन बीमार बना सकता है।
गांव की 1700 की आबादी की प्यास बुझाने के लिए जल निगम ने पानी की टंकी से आपूर्ति पहुंचाने की व्यवस्था कराई थी। पाइप लाइन भी बिछवाई गई लेकिन आपूर्ति के कुछ ही दिनों बाद पानी में दिक्कत महसूस होने लगी। ग्रामीणों की शिकायत पर जांच हुई तो लैब में पानी फेल हो गया। यहां भूमिगत जल में फ्लोराइड की पुष्टि हुई है। पानी में विषैले तत्व की जानकारी होते ही विभाग हरकत में आया और पूरे गांव में पर्चे चस्पा कराकर इस पानी का सेवन न करने की चेतावनी जारी करा दी गई। जल निगम की लैब टेस्टिग में यहां पानी में फ्लोराइड का स्तर 1.63 मिलीग्राम प्रति लीटर पाई गई है जो हानिकारक स्तर है। बढ़ गया है फ्लोरोसिस का खतरा
जिला अस्पताल के दंत चिकित्सक डॉ. आलोक कुमार का कहना है कि पानी में फ्लोराइड की मात्रा दांतों के लिए सबसे ज्यादा नुकसानदेह होती है। रोजाना इस बीमारी के मरीज बड़ी संख्या में अस्पताल आ रहे हैं। फ्लोराइड युक्त पानी का सेवन करने से दांतों में पीलापन, हड्डियों की कमजोरी, दांतों में गलन के साथ पेट संबंधी बीमारियां भी तेजी से फैलती हैं। इससे दांतों में केरीज होने लगती है। जिससे छेद हो जाते हैं और लगातार सेवन से दांत सड़ने लगते हैं। अस्थि फ्लोरोसिस भी फैलता है
अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉ. अशोक कुमार का कहना है कि फ्लोराइड युक्त पानी के लगातार सेवन से विकलांगता की समस्या भी बढ़ सकती है। साधारण पेयजल में फ्लोराइड की मात्रा अधिक होने पर शरीर में फ्लोराइड अस्थियों से हाइड्रॉक्साइड को हटाकर खुद जमा हो जाता है और अस्थि फ्लोरोसिस को जन्म देता है। धीरे-धीरे अस्थियां कमजोर होने लगती हैं। गर्भस्थ शिशु के लिए खतरा
जिला महिला चिकित्सालय के सीएमएस डॉ. एके पचौरी का कहना है कि फ्लोराइड युक्त पानी के सेवन से गर्भस्थ शिशु के लिए भी खतरा बढ़ जाता है। इससे जन्म के बाद बच्चों में अपंगता भी हो सकती है। सबसे ज्यादा असर दांतों और हड्डियों पर पड़ता है। ये है मानक
भारतीय मानक ब्यूरो (बीआइएस) ने पेयजल में फ्लोराइड की मानक सीमा 1.0 मिलीग्राम प्रति लीटर तक निर्धारित की है। इससे ज्यादा की मात्रा दंत फ्लोरोसिस पैदा करती है। 4.0 मिलीग्राम प्रति लीटर की मात्रा वयस्कों में शारीरिक लोच को कम करने लगती है। 10 से 40 मिलीग्राम प्रति लीटर की मात्रा अस्थि फ्लोरोसिस फैलाती है। जिससे शारीरिक विकलांगता भी आ जाती है। क्या कहते हैं जिम्मेदार
'सप्लाई वाले पानी में समस्या है। अब टंकी से सप्लाई को बंद करा दिया गया है। गांव में चेतावनी नोटिस लगवाए गए थे। यहां ज्यादातर लोग निजी सबमर्सिबल पंप और हैंडपंपों से ही पानी पी रहे हैं। गांव में जागरूकता कार्यक्रम भी संचालित कराए गए हैं।'
नारायण सिंह, ग्राम प्रधान, कीरतपुर। 'जल निगम द्वारा जांच कराई गई थी। फ्लोराइड की पुष्टि होने के बाद पूरे गांव में चेतावनी के लिए पर्चे चस्पा करा दिए गए हैं। गांव वालों को भी जागरूक किया जा रहा है। स्वच्छ पेयजल के प्रबंध कराए जा रहे हैं।'
आरके शर्मा, अधिशासी अभियंता
जल निगम।