बिजली चोरी का तरीका देख लगा 'झटका'
फर्जी नाम पते से मीटर लगा की जा रही थी चोरी, टीजीटू और लिपिक निलंबित।
केस एक : शहर के स्टेशन रोड पर संचालित नंदभोग रेस्टोरेंट में जांच के दौरान विभागीय अधिकारियों को मौके पर चार किलोवाट का कनेक्शन मिला। इस पर 11 किलोवाट की डिमांड आ रही थी। सात हजार री¨डग का बिल बकाया था। जांच में पता चला कि रेस्टोरेंट पर जो मीटर किशन ठाकुर पुत्र रमेश ठाकुर निवासी स्टेशन रोड के नाम से लगा था, विभागीय रिकॉर्ड में वह रामनरेश पुत्र रामसनेही निवासी नगला रते के नाम से स्वीकृत था। केस दो: 4.64 लाख रुपये की बकायेदारी पर शहर के नगला रते कृष्णा नगर निवासी कौशलेंद्र ¨सह पुत्र रामप्रकाश के यहां विभागीय टीम ने छापा मारा। वहां लगा मीटर रिकॉर्ड में रितु ¨सह पत्नी राघवेंद्र ¨सह निवासी जनयुग नगर के नाम से दर्ज था। बीपीएल श्रेणी का कनेक्शन दर्शाकर 31 अक्टूबर वर्ष 2017 को इसे लगाया गया था। मैनपुरी, जासं: जिले में बिजली चोरी के नए तरीके देख अधिकारियों के होश उड़ गए हैं। कर्मचारियों की मदद से उपभोक्ता फर्जी पते पर मीटर लगवाकर धड़ल्ले से विद्युत चोरी कर रहे हैं। खेल के सूत्रधार लिपिक और टीजीटू को निलंबित कर दिया गया है। वहीं संबंधित उपभोक्ताओं के खिलाफ फर्जीवाड़े का मुकदमा दर्ज कराया गया है।
विभाग के मुताबिक रामनरेश ने आठ अगस्त वर्ष 2018 को मीटर खराब होने की शिकायत कर उसे बदलने को कहा था। जेई त्रिलोकी ¨सह ने भी संस्तुति कर दी। टीजीटू (टेक्नीकल ग्रेड टू) नंदकिशोर ने शिकायतकर्ता के घर से मीटर उखाड़ा, लेकिन लैब में जमा नहीं किया। उक्त मीटर रेस्टोरेंट संचालक अंशुल ¨सह निवासी मुहल्ला अवध नगर से सांठ-गांठ कर फर्जी सी¨लग और फर्जी मीटर नंबर जारी कर रेस्टोरेंट पर लगा दिया। तब से इसी नए नंबर के आधार पर बिल जारी हो रहे थे।
ऐसी ही जालसाजी कौशलेंद्र ¨सह ने की। लाखों की बकायेदारी से बचने के लिए उन्होंने विभाग के मीटर को गायब कर दिया। विभाग के लिपिक अनिल कुमार से सेटिंग कर फर्जी नाम पते से दूसरा मीटर लगवा लिया। अब तक नए मीटर के अनुसार बिल भुगतान हो रहा है। राकेश की तलाश में महकमा: फर्जी मीटर लगाने का जिम्मा राकेश का था। अधीक्षण अभियंता उमेश चंद्र वर्मा का कहना है कि राकेश की मां बिजली विभाग में ही लिपिक थी। इसलिए उसे विभाग की जानकारी थी। अब उसकी तलाश कराई जा रही है। फर्जी है सी¨लग रसीद: अधिशासी अभियंता एससी शर्मा का कहना है कि दोनों मामलों को सी¨लग रसीद के आधार पर भी पकड़ा गया है। उक्त रसीदों पर फर्जी नंबर पड़े हैं। हस्ताक्षर भी फर्जी हैं।